________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
व्याख्या प्रज्ञप्तिः ॥१४३९॥
SECRECAPACLACEMA*
गोयमा! पुढविकाइयाणं तओ समुग्घाया पं०, तं०-वेदणासमुग्घाए कसायसमुग्याए मारणं तियसमुग्याए, मार| पतियससुग्घाएणं समोहणमाणे देसेण वा समोहणति सम्वेग वा समोहणनि देसणं समोहन्नमाणे पुलिंब संपा
५१७ शतके
| उद्देश६ उणित्ता पच्छा उचवजिन्ना, सब्वेणं समोहणमाणे पुचि उववजेत्ता पच्छा संपाउणेजा, से तेणटेणं जाद उवव
४१४३९॥ जिजा। पुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए जाव समोहए स० २ जे भविए ईसाणे कप्पे पुढवि * एवं चेव ईसाणाव, एवं जाव अच्यगेविजविमाणे, अणुत्तरविमाणे ईसिपम्भाराए य एवं चेव । पुढविकाइए णं भंते! सकरप्पभाए पुढचीए समोहए २ स. जे भविए सोहम्मे कप्पे पुढवि० एवं जहा रयणप्पभाए पुढविकाइए उवबाइओ एवं सकारप्पभाएवि पुदबिकाइओ उववाएयव्वो जाव ईसिपम्भाराए, एवं जहा रयणप्पभाए वत्तब्बया भणिया एवं जाव अहेमत्तमाए समोहए ईसीपम्भाराए उववारयम्बो। सेवं भंते ! २ त्ति (सूत्रं ६०५)॥१७-६॥
[प्र०] हे भगवन् ! जे पृथिवीकायिक जीव आ रत्नप्रभा पृथिवीमां मरण समुद्घात करीने सौधर्मकल्पमां पृथिवीकायिकपणे उत्पन्न धवाने योग्य छे ते हे भगवन् ! शुं प्रथम उत्पन्न थाय अने पछी आहार करे-पुद्गल ग्रहण करे के प्रथम पुद्गल ग्रहण करे | अने पछी उत्पन्न थाय! [उ०] हे गौतम! ते प्रथम उत्पन्न याय अने पछी पद्गल ग्रहण करे; अथवा प्रथम पुद्गल ग्रहण करे अने पछी उत्पन्न थाय. [प्र०] ते शा कारणथी यावत्-पछी उत्पन्न थाय ? [३०] हे गौतम पृथिवीकायिकोने त्रण समुद्घातो कमा छ। ते आ प्रमाणे-वेदना समुद्घात, कषाय समुद्घात अने मारणांतिक समुद्घात. ज्यारे जीव मारणांतिक समुद्घात करे छे त्यारे देशथी पण समुद्घात करे छे अने सर्वथी पण समुद्घात करे छे. ज्यारे देशथी समृद्घात करे छे त्यारे प्रथम पुद्गल ग्रहण करे छे अने*
For Private And Personal