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प्राप्ति ११६९॥
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पुद्गलास्तिकाय अने अद्धासमय संबन्धे) जेम धर्मास्तिकायना प्रदेशनी वक्तव्यतामा कयु छ तेम पुद्गलास्तिकायना चे प्रदेशनी क्तन्यताने विषे पण कहे. (अर्थात तेओना अनन्त प्रदेशो अवगाढ होय छे.) [प्र०] हे भगवन् ! ज्यां पुद्गलास्तिकायना त्रण
१३शतके | प्रदेशो अवगाढ-रहेला छे त्यां केटला धर्मास्तिकायना प्रदेशो अवगाढ होय ? [उ०] कदाच एक, कदाच चे अने कदाच त्रण प्रदेशो 81
॥११६॥ अवगाढ होय. (कारणके ज्यारे पुद्गलास्तिकायना त्रण प्रदेशो एक आकाशास्तिकायना प्रदेशने अवगाहीन रहे त्यारे तेने विषे एक धर्मास्तिकायनो प्रदेश अवगाहीने रहे, ज्यारे वे आकाशास्तिकायना प्रदेशने अवगाहीने रहे त्यारे त्यां वे धर्मास्तिकायना प्रदेशो रहे, अने ज्यारे त्रण आकाशास्तिकायना प्रदेशोने अवगाहीने रहे त्यारे त्यां त्रण धर्मास्तिकायना प्रदेशो रहे.] ए प्रमाणे अधर्मास्तिकाय अने आकाशास्तिकायना संवन्धे कहे, बाकी जीवास्तिकाय, पुद्गलास्तिकाय अने अद्धासमयने आश्रयी जेमबे पुद्गलप्रदेशसंबन्धे का तेम त्रण पुद्गलप्रदेश संबन्धे पण कहे . [ अर्थात्-त्रण पुद्गल प्रदेशने स्थाने अनन्त जीवप्रदेशो, अनन्त पुद्गलपरमाणुओ अने अनन्त अद्धासमय अवगाढ होय.] ए प्रमाणे आदिना त्रण आस्तिकायने विषे एक एक प्रदेश वधारखो, बाकीनाने विषे जेम बे पुद्गलास्तिकायना प्रदेश संबन्धे का तेम यावत्-दश प्रदेश संबन्धे पण कहे. एटले ज्यां पुद्गलास्तिकायना दश प्रदेशो अवगाढ होय त्यां धर्मास्तिकायनो कदाचित् एक प्रदेश, कदाचित् वे प्रदेश, कदाचित् त्रण प्रदेश, यावत्-कदाचित् | दश प्रदेशो अबगाढ होय. ज्या संख्याता पुद्गलास्तिकायना प्रदेशो अवगाढ होय त्या धर्मास्तिकायनो कदाचित् एक प्रदेश, कदा
चित् वे प्रदेश, यावत् कदाचित् दश प्रदेशो, यावत-संख्याता प्रदेशो अवगाढ होय. असंख्याता पुद्गलास्तिकायना प्रदेशोज्यां अबहै गाढ-रहेला होय त्यां धर्मास्तिकायनो एक प्रदेश, यावत्-कदाचित् संख्याता प्रदेशो, अने कदाचित् असंख्याता प्रदेशो अवगाढ होय.
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