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मेशा
१९७०॥
www.kobatirth.org जेम असंख्याता पुद्गलास्तिकायना प्रदेशो माटे का तेम अनन्त प्रदेशो माटे पण जाणवू. [अर्थात् ज्यां पुद्गलास्तिकायना अनन्त 181 प्रदेशो अबगाढ होय त्या धर्मास्तिकायना कदाचित पक, यावत्-संख्याता अने यावन-असंख्याता प्रदेशो रहेला होय, ] [म.]
| हे भगवन् ! ज्यां एक धर्मास्तिकाय अवगाढ होय त्यां केटला धर्मास्तिकायना प्रदेशो रहेला होय १ [उ.] एक प्रदेश रहेलो होय. [प्र.] केटला अधर्मास्तिकायना प्रदेशो रहेला होय? [उ०] एक प्रदेश रहेलो होय. [प्र०] केटला आकाशास्तिकायना प्रदेशो रहेला होय? [३०] एक प्रदेश रहेलो होय. [प्र०] केटला जीवास्तिकायना प्रदेशो रहेला होय? [उ०] अनन्त प्रदेशो रहेला होय. ए प्रमाणे यावत् अद्धासमय सुधी जाणवु. [ अर्थात् पुद्गलास्तिकाय अने अद्धासमयो अनन्ता रहेला होय.]
जत्थ ण भंते ! धम्मस्टिकाए ओगाढे तत्थ केवतिया धम्मस्थिकायप. ओगाढा ?, नस्थि एकोवि, केवतिया अहम्मस्थिकाय.?, असंखेजा, केवतिया आगाम, अमखेजा, केवतिया जीवधिकाय.?, अणता, एवं जाव अद्धासमया । जत्थ णं भंते । अहम्मस्थिकाए ओगाढे तत्थ केवतिया धम्माधिकाय०१, असंखेजा, केवतिया | अहम्मस्थि०१, नस्थि एकोवि, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स. एवं सब्बे, मट्ठाणे नस्थि एकोवि भाणियव्वं, परहाणे
आदिल्लगा तिनि असंखेज्जा भाणियब्वा, पच्छिल्लगा तिन्नि अणता भाणियव्वा जाव अद्धासमओत्ति जाव केवतिया अद्धासमया ओगाढा, नथि एक्कोवि ॥ (सूत्रं ४८३)॥
[प्र.] हे भगवन् ! ज्यां एक धर्मास्तिकाय अवगाढ होय त्यां केटला धर्मास्तिकायना प्रदेशो रहेला होय ? [उ.] त्यां धर्मास्तिकायनो एक पण प्रदेश रहेलो न होय. [प्र..] केटला अधर्मास्तिकायना प्रदेशो रहेला होय ? [उ.] असंख्याता प्रदेशो रहेला
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