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व्याख्याप्राप्तिः १९२२॥
ते आ प्रमाणे-कृष्णा, कृष्णराजि, रामा, रामरक्षिता, वसु, वसुगुप्ता, वसुमित्रा अने वसुंधरा. तेमा एक एक देवीनो परिवार वगेरे वधुं शक्रनी पेठे जाणवू. [प्र०] हे भगवन् ! देवेन्द्र देवराज ईशानना (लोकपाल) सोम नामे महाराजाने केटली यट्टराणीओ कही
छ ? [उ०] हे आर्य ! तेने चार पट्टराणीओ कही छे, ते आ प्रमाणे-पृथिवी, रात्री, रजनी, अने विद्युत्. वेमां एक एकनो परिवार | वगेरे बाकी बधुं शक्रना लोकपालोनी पेठे जाणवू. ए प्रमाणे यावत् वरुण सुधी जाणवू. परन्तु विशेष ए छे के चोथा शतकमां कहा |
प्रमाणे विमानो कहेवा, बाकी वर्षा पूर्वनी पेठे जाणवं. यावत् ते मैथुननिमिचे (राजधानीमा पोताना सिंहासन उपर बेसीने) मोग | भोगवता नथी. हे मगवन् ! ते एमज , हे भगवन् ! ते एमज छे. ॥ ४०६ ॥
___ भगवत् सुधर्मस्वामीप्रणीत श्रीमद् भगवती सूत्रना १० मा शतकमां पांचमा उद्देशानो मूलार्थ संपूर्ण थयो.
उदेशा
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RAKASH
उद्देशक ६ कहिं णं भंते ! मक्कम देविंदस्स देवरन्नो सभा सुहम्मा पन्नत्ता?, गोयमा ! जंबुद्दीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स | दाहिणेणं इमीसे रयणप्पभाए एवं जहा रायप्पसेणइज्जे जाव पंच बडेंसगा पन्नत्ता, जहा-अमोगव.सए जाव मज्झे सोहम्मवडेंसए, सेणं सोहम्मवडेंसए महाविमाणे अद्धतेरस य जोयणसयसहस्साई आयामविक्खंभेणंएवं जह सूरियाभे तहेब माणं तहेव उववाओ। सक्कस्स य अभिसेओ तहेव जह सूरियाभस्स!१ ॥ अलंकार• अच्चणिया तहेव जाव आयरक्वत्ति, दो सागरोवमाई ठिती। सके भंते! देविंद देवराया केमहिड्डीए जाव
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