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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsun Gyanmandir १०शतके व्याख्याप्रबतिः है ॥९२२॥ ॥९ ॥ सेसं तं चेव एवं जाव वेसमणस्स, नवरं विमाणाई जहा तइयसए । ईसाणस्स णं भंते ! पुच्छा, अजो! अट्ट अ. ग्गम हिसी पन्नता, तंजहा-कण्हा कण्हराई रामा रामरक्खिया वसू बसुगुत्ता वसुमित्ता वसुंधरा, तत्य णं एग- मेगा", सेसं जहा मकस्स । ईसाणस्स भंते! देविंदम्स मोमस्म महारणो कति अग्गमहिसीओ?, पुच्छा, अलो! चत्तारि अग्गमहिसी पन्नत्ता, तंजहा-पुढवी रायी रयणी विज्जू , सत्य , सेसं जहा नकस्म लोगपालोणं, एवं जाव वरुणस्स, नवरं विनाणा जहा चउत्थसए, सेमंतं चेव जाब नो चेव ण मेहुणवत्तियं । सेवं भंते! सेवं भंतत्ति जाब विहरह ।। ( सूत्रं ४०६)॥१०-५॥ (प्र०] हे भगवन् ! देवेन्द्र देवराज शक्र मौधर्म देवलोकमां सौधर्मावतंसक विमानमा सुधर्मा सभाने विषे अने शक्र नाने सिंहा|सनमा बेसी ते त्रुटिक (देवीओना समूह) साथे भोग भोगववा समर्थ के ? [उ०] हे आर्य ! बाकी सर्व चमरेन्द्रनी पेठे जाण. पर न्तु विशेष ए छे के तेनो परिवार दतीयशतकना प्रथम उद्देशकमां कह्या प्रमाणे जाणवो. [प्र०] हे भगवन् ! देवेन्द्र देवराज शक्रना (लोकपाल) सोम नामे महाराजाने केटली पट्टराणीओ कही छे ? (उ०] हे आर्य! तेने चार पट्टराणीओ कही छे, ते आ प्रमाणेरोहिणी, मदना, चित्रा अने सोमा. तेमां एक एक देवीनो परिवार वगेरे चमरेन्द्रना लोकपालोनी पेठे जाणवो; परन्तु विशेष ए छे के स्वयंप्रभ नामे विमानमां, सुधर्मा सभामां अने सोम नामना सिंहासनमा वेसीने मैथुननिमित्ते देवीओनी साथे भोग भोगववा समर्थ नथी-इत्यादि सर्व पूर्ववत् जाण. ए प्रमाणे यावद् वैश्रमण सुधी जाणवू, परन्तु विशेष ए छेके तेमना विमानो तृतीयशतकमां कह्या प्रमाणे कहेवा. [H०] हे भगवन् ! ईशानेन्द्रने केटली पट्टराणीओ कही छे ? [३०] हे आर्य । तेने आठ पट्टराणीओ कही छे, SHARE For Private And Personal
SR No.020109
Book TitleBhagvati Sutram Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1939
Total Pages235
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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