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व्याख्याप्रज्ञप्तिः
॥९२०॥
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आर्चेर्माली अने प्रभंकरा - इत्यादि सर्व पूर्वोक्त कहेतुं यावत् तेओ पोतानी राजधानीमां सिंहासनने विषे मैथुननिमित्ते भोगो भोगवी शकता नथी. [प्र० ] हे भगवन् ! अंगार नामना महाग्रहने केटली पट्टराणीओ कही छे ? [अ०] हे आर्य । तेने चार पट्टराणीओ कही छे, ते आ प्रमाणे- विजया, वैजयंती, जयंती अने अपराजिता, तेमां एक एक देवीनो परिवार वगेरे बधुं चन्द्रनी पेठे जा विशेष एछे के, अंगारावतंसकनामना विमानमा अने अंगारक नामना सिंहासनने विषे यावत् मैथुननिमित्ते भोगो भोगवता नथी. बाकी सर्व पूर्ववत् जाणवुं तथा ए प्रमाणे यावत् व्याल नामे ग्रहसंबन्धे पण जाणवुं. एम अठ्याशी महाग्रहो माटे यावत् भावकेतु ग्रह सुधी कहेवुं. परन्तु विशेष ए ले के, अवतंसको अने सिंहासनो इन्द्रना समान नामे जाणवां. बाकी बधुं पूर्वप्रमाणे जाण. [प्र०] हे भगवन् ! देवना इन्द्र देवना राजा शक्रने केटली पट्टराणीओ कही छे ? [अ०] हे आर्य ! तेने आठ पट्टराणीओ कही छे, ते आ प्रमाणे- पद्मा, शिवा, श्रेया, अंजु, अमला, अप्सरा, नवमिका अने रोहिणी. तेमांनी एक एक देवीनो सोळ सोळ हजार देवीओनो परिवार होय छे, तेमांनी एक एक देवी बीजी सोळ सोळ हजार देवीओना परिवारने विकुर्वी शके छे. ए प्रमाणे पूर्वापर मळीने एक लाख अने अय्यावीस हजार देवीओना परिवारने विकुर्ववा समर्थ छे. ए प्रमाणे त्रुटिक (देवीओनो समूह) कह्यो.
पणं भंते । सके देविंदे देवराया सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडेंसए विमाणे सभाए सुहम्माए सर्कसि सीहासणंसि तुडिएणं सद्धि सेसं जहा चमरस्म, नवरं परियारो जहा मोउद्देसए । सक्कस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारनो कति अग्गमहिसीओ, पुच्छा, अजो! चत्तारि अग्गमहिसी पन्नत्ता, तंजहा- रोहिणी मदणा चित्ता सोमा, तस्थ णं एगमेगा सेसं जहा चमरलोगपालाणं, नवरं सर्वपमे विमाणे सभाए सुहम्माए सोमंसि सीहासणंसि,
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१० शतके
उद्देश५
॥ ९२०॥