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________________ Shri Mahavir Jain Ara व्याख्या प्रशसि ॥९९९ ॥ www.kobatirth.org सिंहासनो इन्द्रना समान नामे जाणवां, बकी सर्व पूर्वनी पेठे जाणवु. चंदस्स णं भंते! जोइसिंदस्स जोइसरन्नो पुच्छा, अज्जो चत्तारि अग्गमहिसी पन्नत्ता, तंजहा - चंदष्पभा दोसिणामा अचिमाली पभंकरा एवं जहा जीवाभिगमे जोइसियउद्देसए तहेव, सूरस्सवि रुरप्पभा आयवाभा अचिमाली पभंकरा, सेसं तं चेत्र, जहा (जाब) नो चेव णं मेहुणवत्तियं । इंगालस्स णं भंते । महग्गहस्स कति अग्ग० पुच्छा, अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसी पन्नत्ता, तंजहा - विजया वैजयंती जयंती अपराजिया, तत्थ णं एगमेगाए देवीए सेसं तं वेव जहा चंदस्स, नवरं इंगालवडेंसए बिमाणे इंगालगंसि सीहासांसि सेस तं चेत्र, एवं जाव विद्यालगरसवि, एवं अट्ठासीतीएवि महागहाणं भाणियव्वं जाव भावकेउस्स, नवरं नडेंसगा सीहासणाणि य सरिसनामगणि, सेसं तं चैव । सक्क्स्स णं भंते! देविंदस्स देवरन्नो पुच्छा, अजो ! अट्ठ अग्गमहिसी पत्ता, तंजहा- पउमा सिवा सेया अंजू अमला अच्छरा नवमिया रोहिणी, तत्थ णं एगमेगाए। देवीए सोलस सोलस देविसहस्सा परिवारो पन्नत्तो. पभू णं ताओ एगमेगा देवी अन्नाई सोलस देविस हस्सपरियारं विउच्चित्तर एवामेव सपुत्रवावरेणं अट्ठावीसुत्तरं देविसयस हस्से परियारं विव्वित्तए, सेत्तं तुडिए । Achanalashsagarsuri Gyanmandir [0] हे भगवन् ! ज्योतिष्कना इन्द्र अने ज्योतिष्कना राजा चन्द्रने केटली पट्टराणीओ कही छे ? [अ०] हे आर्य ! तेने चार पट्टराणीओ कही छे, ते आ प्रमाणे- चन्द्रप्रभा, ज्योत्स्नाभा, आर्चर्माली अने प्रभंकरा - इत्यादि जेम जीवाभिगमसूत्रमां ज्योतिष्कना उद्देशकमां कछु छे तेम जाणवुं. सूर्यसंबन्धे पण बधूं तेमज जाणवुं. सूर्यने चार पट्टराणीओ छे, ते आ प्रमाणे सूर्यप्रभा, आतपाभा, For Private And Personal १० शतके उद्देश५ ॥९९९॥
SR No.020109
Book TitleBhagvati Sutram Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1939
Total Pages235
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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