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१०शतके
प्रातिः
वनओ, तत्थ णं पालासए सन्निवेसे तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासया जहा चमरस्स जाव विहरंति, तए व्याख्या
णं तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासगा पुर्दिबपि पच्छावि उग्गा उग्गविहारी संविग्गा संविग्गविहारी साहूई वासाई समणोवासगपरियागं पाणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताण असेइ झूसित्ता सहि भत्ताइं अण- ४ा उद्देश दसणाए छेदेंति २ आलोइयपडिकंता समाहिपत्ता कालमासे कालं. किचा जाव उववन्ना, जप्पभिई च णं भंते ।।
| ॥९०७० ॥९०७॥ * पालासिगा तायत्तीससहाया गाहावई समणोवासगा सेसं जहा चमरस्स जाव उववजंति।
[प्र०] हे भगवन् ! नागकुमारना इंद्र अने नागकुमारना राजा धरणने त्रायस्त्रिंशक देवो छे' [उ०] हे गौतम! हा, छे. [म.] हे भगवन् ! ए प्रमाणे आप शा हेतुथी कहो छो के घरणेन्द्रने त्रायस्त्रिंशक देवो छ ? [उ०] हे गौतम ! नागकुमारना इंद्र अने नागकुमारना राजा धरणना त्रायस्त्रिंशक देवोना नामो शाश्वत कह्या छे, जेथी तेओ कदापि न हता एम नथी, कदापि नथी एम नथी,
अने कदापि न हशे एम पण नथी. यावत् अन्य च्यवे छे अने अन्य उपजे छे. ए प्रमाणे भूतानंद अने यावत् महाघोष इन्द्रना हि त्रायस्त्रिंशक देवो संवन्धे पण जाणवं. [प्र०] हे भगवन् ! देवेंद्र देवराज शक्रने त्रायस्त्रिंशक देवो छ ? [उ.] हा गौतम ! छे. [प्र०]
| हे भगवन् ! ए प्रमाणे आए शा हेतुथी कहो छो के देवेंद्र देवराज शक्रने त्रायस्त्रिंशक देवो छ ? [उ०] हे गौतम ! शक्रना त्रायस्त्रि|शक देवोनो संबन्ध आ प्रमाणे छे-ते काले-ते समये आ जंबूद्वीपना भरतवर्षमां पलाशक नामे संनिवेश हतो. वर्णन. ते पलाशक |नामे संनिवेशमा परस्पर सहाय करनार तेत्रीश श्रमणोपासको रहेता इता-इत्यादि जेम चमर संबन्धे का ते प्रमाणे यावत् तेओ विचरे छे. त्यारपछी परस्पर सहाय करनारा तेत्रीश गृहपति श्रमणोपासको पहेला अने पछी उग्र, उपविहारी, संविन अने संविन
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