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व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥५७८॥
6429414344-45
जाव ताराविमाणजोतिसियदेव० वेमाणिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-कापोववन्नग० कप्पातीतगवेमाणिय०, कप्पोवगा दुवालसविहा पण्णत्ता, तंजहा-सोहम्मकप्पोवग० जाव अच्चुयकप्पोवगवेमाणिया । कप्पातीत०, ८ शतके गो० दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-गेवेज्जकप्पातीतवे० अणुत्तरोववाइयकप्पातीतवे०, गेवेज्जकप्पातीतगा नवविहा| उद्देशः१ पण्णत्ता, तंजहा-हेट्टिम २ गेवेजगकप्पातीतगवे. जाव उवरिमरगेविज़गकप्पातीय।
॥५७८॥ [प्र०] हे भगवन् ! मनुष्यपंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गलो केटला प्रकारना कद्या छ ? [उ०] हे गौतम ! मनुष्यपंचेन्द्रियप्र-13 योगपरिणत पुद्गलो बे प्रकारना कह्या छे. ते आ प्रमाणे-संमूर्छिममनुष्यप्रयोगपरिणत अने गर्भजमनुष्यपंचन्द्रियप्रयोगपरिणत. [प्र.] हे भगवन् ! देवपंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गलो केटला प्रकारना कह्या छ ? [उ०] हे गौतम ! देवपंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत है पुद्गलो चार प्रकारना कया छे, ते आ प्रमाणे-भवनवासिदेवपंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत, अने यावत् वैमानिकदेवपंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गलो. [प्र०] हे भगवन् ! भवनवासिदेवपंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गलो केटला प्रकारना कह्या छ ? [उ०] हे गौतम ! दश प्रकारना कद्या छे. ते आ प्रमाणे--असुरकुमारप्रयोगपरिणत, यावत् स्तनितकुमारप्रयोगपरिणत. ए प्रमाणे ए अभिलापवडे आठ प्रकारना वानव्यंतरो, पिशाचो यावत् गान्धवा कहेवा, ज्योतिषिको पांच प्रकारना कद्या छे ते आ प्रमाणे-चन्द्रविमानज्योतिषिकदेव, यावत ताराविमानज्योतिषिकदेव. वैमानिक देवो वे प्रकारना कबा छे ते आ प्रमाणे-कल्पोपपन्नकवैमानिकदेव अने| कल्पातीतवैमानिक देव. कल्पोपपत्रकवैमानिक बार प्रकारना कया छे; सौधर्मकल्पोपनक,यावत् अच्युतकल्पोपन्नक. कल्पातीतवैमानिको | हे गौतम ! चे प्रकारे कला छे; ते आ प्रमाणे-अवेयककल्पातीतवैमानिक देव अने अनुत्तरौपपातिककल्पातीत वैमानिक देव. अवेय-हा
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