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व्याच्या प्रज्ञप्ति ॥५७७॥
बायंचयोनिकपंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत अने खेचरतियंचयोनिकपंचेन्द्रिप्रयोगपरिणत पुद्गलो. प्र. हे भगवन् ! जलचरतियंचयोनिक
पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गलो केटला प्रकारना कह्या छ ? [उ०] हे गौतम ! जलचरतियचयोनिकपंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गलो ८ शतके वे प्रकारना कह्या छे; ते आ प्रमाणे-संमूर्छिमजलचरतिर्यचपंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत अने गर्भजजलचरतिर्यंचपंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत.
उद्देशः१ H०] हे भगवन् ! स्थलचरतियंचयोनिकप्रयोगपरिणत पुद्गलो केटला प्रकारना कह्या है ? [उ०] हे गौतम! स्थलचरतियचयोनि- १५७७॥ | कपंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गलो वे प्रकारना कद्या छे ते आ प्रमाणे-चतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत अने परिसर्पस्थलचरतियंचपंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत. [प्र०] हे भगवन् ! चतुष्पदस्थलचरतियंचयोनिकपंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गलो केटला प्रकारना कहा छ ? [उ०] हे गौतम! चतुप्पदस्थलचरतियचयोपंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गलो बे प्रकारना कह्या छे ते आ प्रमाणे-संमूछिमचतुष्पदस्थलचरतियंचपंचेन्द्रियायोगपरिणत अने गर्भजचतुष्पदस्थलचरतियचयंवेन्द्रियप्रयोगपरिणत. ए प्रमाणे ए अभिलाप (पाठ) | वडे परिसॉ वे प्रकारना कह्या छ-उरपरिसर्प अने भुजपरिसर्पो. उरपरिसपों वे प्रकारना कह्या डे-संमृछिम अने गर्भज. ए प्रमाणे भुजपरिमो अने से चरो ( पक्षीओ) पण वे प्रकारना कह्या छे.
मगुस्सपंचिंदियपयोगच्छा, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, जहा-समुच्छिममणुस्म० गम्भवतियमणुस्स। । देवपंचिंदियपयोगपुच्छा,गोयमा! चउव्विहा पन्नत्ता,तंजहा-भवणवासिदेवपंचिंदियपयोग एवंजाब वेमागिया।
भवणवासिदेवपंचिंदियपुच्छा, गोयमा ! दसविहा पन्नत्ता, तंजहा-असुरकुमारा जाब थणियकुमारा,एवं गएण: अभिलावेणं अट्टविहा वाणमंतरा पिसाया जावगंधवा,जोइसिया पचविहा पन्नत्ता,तंजहा-चंदविमाणजोतिसिय
RAKAR
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