________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
P८ शतके
व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥३३॥
AE
भयणाए, तस्स अ० पुच्छा, गोयमा! नाणी, नो अन्नाणी, नियमा एगनाणी केवलनाणी एवं जाव वीरियस्स लद्धी अलद्धी य भाणियब्वा, बालवीरियलद्धियाणं तिमि नाणाई तिन्नि अन्नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई भयणाए, पंडियवीरियलद्धीयाणं पंच नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं मणपजवनाणवजाइं उद्देशः२ णाणाई अन्नाणाणि तिन्नि य भयणाए,बालपंडियवीरियलद्वियाणं भंते ! जीवा० तिन्नि नाणाई भयणाए, तस्सद अलद्धियाणं पंच नाणाई तिन्नि अन्नाणाई भयणा ॥ । प्र०] हे भगवन् ! चारित्राचारित्र (देशचारित्र) लब्धिवाळा जीवो शुं ज्ञानी छे के अज्ञानी छ ? [उ०] हे गौतम ! तेओ ज्ञानी 13 छे पण अज्ञानी नथी; तेमां केटलाक बेज्ञानवाला अने केटलाक त्रणज्ञानवाळा छे. जेओ बेज्ञानवाला छे तेश्रो आभिनिबोधिक ज्ञान अने श्रुतज्ञानवाला छे, जेओ त्रण ज्ञानवाला छे तेओ आभिनिवोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी अने अवधिज्ञानी है. चारित्राचारित्र (देशचारित्र) लब्धिरहित जीवोने भजनाए पांच ज्ञान अने त्रण अज्ञान होय छे. दानलब्धिवान्ठाने पांच ज्ञान अने व्रण अज्ञान भजनाए होय छे. [प्र०] दानल ब्धिरहित जीवो ज्ञानी छे के अज्ञानी छे ? [उ०] हे गौतम! तेओ ज्ञानी छे अने नेओ अवश्य एककेवलज्ञानवाळा हे. ए प्रमाणे यावत् वीर्यलब्धिवाळा अने वीर्यलब्धिरहित जीवो कहेवा. बालवीर्यलब्धिवाळा जीवोने त्रण ज्ञान अने व्रण अज्ञान भजनाए होय छे. बालवीर्यलब्धिरहित जीवोने भजनाए पांच ज्ञान होय छे. पंडितवीर्यलब्धिवाला जीवोने पण भजनाए पांच ज्ञान होय छे. पंडितवीर्यलब्धिरहितने मनःपर्यवज्ञान शिवाय चार ज्ञान अने त्रण अज्ञान भजनाए होय छे. बालपंडितवीर्यलब्धिवा|ळाने भजनाए त्रण ज्ञान होय छे, अने बालपंडितवीर्यलब्धिरहित जीवोने पांच ज्ञान अने त्रण अज्ञान भजनाए होय छे.
SHRESTHANK--
-%e0
For Private and Personal Use Only