________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
ॐ
*
| होय के अज्ञानी होय ? [उ.] हे गौतम ! तेओने भजनाए (विकल्पे ) त्रण ज्ञान होय छ अने अवश्य बे अज्ञान होय छे. देवगयाख्या| तिक-देवगतिमा जता जीवो-निरयगतिनी पेठे (सू० ३१.) जाणवा. [प्र०] हे भगवन् ! सिद्धिगतिमा जता जीवो शुं ज्ञानी होय
८ शतके प्रज्ञतिः के अज्ञानी होय ? [उ०] हे गौतम ! तेओ सिद्धोनी पेठे (सू० ३०) जाणवा. [प्र०] हे भगवन् ! सेन्द्रिय-इन्द्रियवाळा-जीवो शुं
से उद्देशः२ ॥६२०॥ ज्ञानी होय के अज्ञानी होय ? [उ०] हे गौतम! तेओने भजनाए चार ज्ञान अने त्रण अज्ञान होय छे. [प्र०] हे भगवन् ! एकेन्द्रिय | ॥६२०॥
जीवो शुं ज्ञानी होय के अज्ञानी होय ? [उ०] हे गौतम! पृथिवीकायिकनी पेठे (सू० २७.) (एकेन्द्रिय जीवो) जाणवा. बेइ
न्द्रिय, त्रीद्रिय, चउरिंद्रिय जीवोने अवश्य वे ज्ञान अने चे अज्ञान होय छे. पंचेंद्रिय जीवो सेंन्द्रिय जीवोनी पेठे ( सू० ३५.) हैजाणवा. [प्र०] हे भगवन् ! अनिद्रिय-इंद्रियरहित-जीवो शुं ज्ञानी हीय के अज्ञानी होय ? तेओ सिद्धनी पेठे (मू० ३०.) जाणवा.
प्र०] हे भगवन् ! सकायिक जीवो शुं ज्ञानी होय के अज्ञानी होय? [उ०] हे गौतम! तेओने पांचं ज्ञान अने त्रण अज्ञान भजनाए
होय छे. पृथिवीकायिक यावत् वनस्पतिकाथिक जीवो ज्ञानी नथी पण अज्ञानी होय छे, अने ते अवश्य बे अज्ञानवाळा होय छे, है|ते आ प्रमाणे-मतिअज्ञानवाळा अने श्रुतअज्ञानवाळा. सकायिक जीवो सकायिक जीवोनी पेठे जाणवा. __अकाइया णं भंते ! जीवा किं नाणी ?, जहा सिद्धा ३॥ सुहुमा णं भंते! जीवा कि नाणी०? जहा पुढविकाइया । बादरा णं भते! जीवा किं नाणी०? जहा सकाइया । नोसुहमानोबादरा णं भते! जीवा० जहा सिद्धा ४॥ पज्जत्ता णं भंते ! जीवा किं नाणी ?, जहा सकाइया । पजत्ता णं भंते ! नेरइया किं नाणी. ?, तिन्नि नाणा, तिन्नि अन्नाणा नियमा, जहा नेरइए एवं जाव थणियकुमारा । पुढविकाइया जहा एगिदिया, एवं जाव चउरि
*
4-
CRI-र
4
For Private and Personal Use Only