________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir तए णं खत्तियकुंडग्गामे नगरे सिंघाडगतियचउक्कचच्चरजाव बहुजणसद्देइ वा जहा उववाइए जाव एवं पनवेइ व्याख्या- एवं परूवेइ-एवं खलु देवाणुप्पिया! समणे भगवं महावीरे आइगरे जाव सम्बन्नू सव्वदरिसी माहणकुंडग्गामस्स 519 शतके प्रचप्तिः | नगरस्स बहिया बहुसालए चेइए अहापडिरूवं जाव विहरह, तं महप्फलं खलु देवाणुप्पिया! तहारूवाणं अर उद्देशा // 30 // हंताणं भगवंताणं जहा उववाइए जाव एगाभिमुहे खत्तियकुंडग्गामं नगरं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छंति निग्गच्छित्ता // 830 // जेणेव माहणकुंडग्गामे नगरे जेणेव बहुसालए चेइए एवं जहा उववाइए जाव तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासंति / तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स तं महया जणसई वा जाव जणसन्निवायं वा सुणमाणस्स वा पासमाणस्स वा अयमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पजित्था-किन्नं अज्ज खत्तियकुंडग्गामे नगरे इंदमहेइ वा खंदमहेइ वा मुगुंदमहेह वा णागमहेइ वा जखमहेह वा भूयमहेइ वा कूवमहेइ वा तडागमहेइ वा नईमहेइ वा | दहमहेइ वा पव्वयमहेइ वा रुक्खमहेइ वा चेइयमहेइ वा धूभमहेइ वा जणं एए बहवे उग्गा भोगा राइन्ना इक्खागा णाया कोरब्बा खत्तिया खत्तियपुत्ता भडा भडपुत्ता जहा उववाइए जाव सत्थवाहप्पभिइए ण्हाया क|यबलिकम्मा जहा उववाइए जाव निग्गच्छंति ?, एवं संपेहेइ एवं संपेहित्ता कंचुइज्जपुरिस सद्दावेति कंचु० 2 एवं | वयासी-किण्णं देवाणुप्पिया! अन्ज खत्तियकुंडग्गामे नगरे इंदमहेइ वा जाव निग्गच्छति ?, तए णं से कंचुइन्ज पुरिसे जमालिणा खत्तियकुमारेणं एवं वुत्ते समाणे हहतुट्टे समणस्स भगवओ महावीरस्स आगमणगहियवि15 णिच्छए करयल• जमालि खत्तियकुमारं जएणं विजएणं बद्धावेइ बद्धावेत्ता एवं वयासी-णो खलु देवाणुप्पिया! 81 SAISISSA SAAAASS CARRACCIALANKARI For Private and Personal Use Only