________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 18] [प्र०] हे भगवन् ! सद्-विद्यमान नैरयिको उत्पन्न थाय छे के असद्-अविद्यमान नैरयिको उत्पन्न थाय छे ? [उ०] हे गांगेय! सद्-विद्यमान नैरयिको उत्पन्न थाय छे, पण असद् नैरयिको उत्पन्न थता नथी. ए प्रमाणे यावद् वैमानिक पर्यन्त जाणवू. [प्र०] व्याख्याहे भगवन् ! विद्यमान नैरयिको उद्वर्ते छे के अविद्यमान नैरयिको उद्वर्ते छ ? [उ०] हे गांगेय! विद्यमान नैरयिको उद्वत छ पण & 9 शतके प्रज्ञप्तिः अविद्यमान नैरयिको उद्वर्तता नथी. ए प्रमाणे यावद् वैमानिको सुधी जाण. विशेष ए छे के ज्योतिष्क अने वैमानिकोमा 'च्यवे छ। उद्देशा५ // 814 // हवो पाठ कहेवो. [30] हे भगवन् ! सद् नैरयिको उत्पन्न-थाय छे के असद् नैरयिको उत्पन्न थाय छे ? सद् असुरकुमारो उत्पन्न | 118140 चाय छे के असद् असुरकुमारो उत्पन्न थाय छे ? ए प्रमाणे यावत् सद् वैमानिको उत्पन्न थाय छे के असद् वैमानिको उत्पन्न थाय 52 ? सद् नैरयिको उद्वर्ते छे के असद् नैरयिको उद्वर्ते छे ? सद् अमुग्कुमरो उद्वर्ते छ के असद् असुरकुमारो उद्वर्ते छे ? ए प्रमाणे यावत् सद् वैमानिको च्यवे छे के असद् वैमानिको च्यवे छे ? [उ०] हे गांगेय ! सद् नैरयिको उत्पन्न थाय छे पण असद् नैरयिको उत्पन्न थता नथी. सद् असुरकुमारो उत्पन्न थाय छे पण असद् अमुरकुमारो उत्पन्न यता नथी. ए प्रमाणे यावद् सद् वैमानिको उत्पन्न थाय छे पण असद् वैमानिको उत्पन्न यता नथी. सद् नैरयिको उद्वर्तेछे पण असद् नैरयिको उद्वर्तता नथी. यावद् सद् वैमा-1 निको च्यवे छे पण असद् वैमानिको च्यवता नथी. [प्र.] हे भगवन् ! एम शा हेतुथी कहो छो के सद् नैरयिको उत्पन्न थाय छे पण असद् नैरयिको उत्पन्न थता नथी. ए प्रमाणे यावद् सद् वैमानिको च्यवे छे पण असद् वैमानिको च्यवता नथी? हे भगवन् ! Paa ते निश्चित छ ? [उ०] हे गांगेय ! खरेखर पुरुषादानीय अर्हत् श्रीपार्श्वनाथे "लोकने शाश्वत, अनादि अने अनन्त कह्यो छे-" | इत्यादि पांचमा शतकमां कह्या प्रमाणे जाणवू. यावत् जे अवलोकी शकाय-जाणी शकाय ते लोक, ते हेतुथी हे गांगेय एम का For Private and Personal Use Only