________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्याख्या // 815 // RCMCARROTES छे के, सद् वैमानिको च्यवे छे पण असद् वैमानिको च्यवता नथी. / सयं भंते! एवं जाणइ उदाहु असयं असोचा एते एवं जाणइ उदाहु सोचा सतो नेरइया उववअंति नो असतो | नेरइया उववज्जंति जाब सओ वेमाणिया चयंति नो असओ वेमाणिया चयति ?, गंगेया! सयं एते एवं जाणा 9 शतके | मि नो असयं, असोचा एते एवं जाणामि, नो सोचा, सतो नेरइया उववज्जति नो असओ नेरइया उववज्जति उद्देश | जाव सतो वेमाणिया चयति. नो असतो वेमाणिया चयंति, से केणतुणं भंते! एवं वुच्चइ तं चेव जाव नो असतो भा८१५॥ वेमाणिया चयंति?, गंगेया! केवली ण पुरच्छिमेणं मियंपि जाणइ अमियंपि जाणइ दाहिणेणं एवं जहा सगडइसए जाव निव्वुडे नाणे केवलिस्स, से तेणटेणं गंगेया ! एवं वुच्चइ तं चेव जाव नो असतो वेमाणिया चयंति // [प्र.] हे भगवन् ! आप स्वयं आ प्रमाणे जाणो छो, के अस्वयं जाणो छो? सांभळ्या शिवाय ए प्रमाणे जाणो छो अथवा | सांभळीने जाणो छो के 'सद् नैरयिको उत्पन्न थाय के पण असद् नैरयिको उत्पन्न थता नथी, यावत् सद् वैमानिको च्यवे छे, पण असद् वैमानिको च्यवता नथी' ? [उ०] हे गांगेय ! हुं ए बधुं स्वयं जाणुं छु, पण अस्वयं (बीजानी सहायथी) जाणतो नथी. वळी | सांभळ्या विना आ प्रमाणे जाणुं छु, पण सांभळीने जाणतो नथी के 'सद् नैरयिको उत्पन्न थाय छे, पण असद् नैरयिको उत्पन्न थता नथी, यावत् सद् वैमानिको च्यवे छे, पण असद् वैमानिको च्यवता नथी.' [प्र०] हे भगवन् ! एम शा हेतुथी कहो छो के, 'हु स्वयं जणुं छु-इत्यादि पूर्वोक्त यावत् असद् वैमानिको च्यवता नथीं' 1 [उ०] हे गांगेय ! केवलज्ञानी पूर्वमा मित (मर्यादित) पण जाणे, अने अमित (अमर्यादित) पण जाणे, तथा दक्षिणमां पण ए प्रमाणे जाणे. ए प्रमाणे जेम शब्द उद्देशकमां कडं छे तेम ARSANSAR For Private and Personal Use Only