________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्याख्याप्राप्तिः // 812 // 9 शतके उद्देशा५ // 812 // नेरतिया उववजंति जाव संतरंपि थणियकुमारा उववज्जति निरंतरंपिथणियकुमारा उववज्जति नो संतरपि पुढवि. काइया उववज्जति निरंतरं पुढविक्काइया उववज्जति एवं जाव वणस्सइकाइया सेसा जहा नेरइया जाच संतरंपि वेमाणिया उववज्जंति निरंतरंपि वेमाणिया उववज्जति, संतरंपि नेरइया उववहति निरंतरंपि नेरहया उववदंति एवं जाव थणियकुमारा नो संतरं पुढविकाइया उववहति निरंतरं पुढविक्काइया उववटुंति एवं जाव वणस्सइकाइया | सेसा जहा नेरइया, नवरं जोइसियवेमाणिया चयंति अभिलावो, जाव संतरंपि बेमाणिया चयंति निरंतरंपि वेमाणिया चयंति // [4] हे भगवन् ! नैरयिको सान्तर (अन्तरसहित) उत्पन्न थाय छे के निरंतर (अन्तररहित) उत्पन्न थाय छे ? असुरकुमारो सान्तर ऊत्पन्न थाय छे के निरन्तर उत्पन्न थाय छे ? यावत् वैमानिक देवो सान्तर उत्पन्न थाय छे के निरन्तर उत्पन्न थाय छे ? नैरयिको सान्तर उद्भूर्ते छ-नीकळे छे के निरन्तर उद्वर्ते छे? यावत् वानव्यंतरो सांतर उद्वर्ते छे के निरन्तर उद्वर्ते छे ? ज्योतिष्को सान्तर च्यवे छे के निरन्तर च्यवे छे ? अने वैमानिको सान्तर च्यवे छ के निरन्तर च्यवे छे ? [उ.] हे गांगेय ! नैरयिको सान्तर उत्पन्न थाय छे अने निरन्तर पण उत्पन्न थाय छे. यावत् स्तनितकुमारो सान्तर अने निरन्तर उत्पन्न थाय छे. पृथिवीकायिको सन्तर उत्पन्न थता नथी पण निरन्तर पण उत्पन्न थाय छे. एप्रमाणे यावत् वनस्पतिकायिको पण निरन्तर उत्पन्न थाय छे. तथा बाकीना बधा जीवो नैरयिकोनी पेठे सान्तर अने निरन्तर उत्पन्न थाय छे. यावद् वैमानिको पण सान्तर अने निरन्तर उत्पन्न थाय छे. नैरयिको सान्तर अने निरन्तर उद्बतें छे. ए प्रमाणे यावद् स्तनितकुमारो जणवा. पृथिवीकायिको सान्तर उद्वर्तता नथी पण निरन्तर For Private and Personal Use Only