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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्याख्याप्राप्ति // 807 // ANUMEROE+ | तेथी चउरिन्द्रियतियचयोनिकप्रवेशनक विशेषाधिक छे, तेना करतां त्रीन्द्रियतियचयोनिकप्रवेशनक..विशेषाधिक छे, तेना करता है बेइन्द्रियतियंचयोनिकप्रवेशनक विशेषाधिक छे, अने तेना करतां एकेन्द्रियतियंचयोनिकप्रवेशनक विशेषाधिक छे. [प्र०] हे भग-1 ९शसके | वन् ! मनुष्यप्रवेशनक केटला प्रकारे का छे ? [उ०] हे गांगेय ! बे प्रकारे का छे, ते आ प्रमाणे-संमूछिममनुष्यप्रवेशनक अने | उद्देश | गर्भजमनुष्यप्रवेशनक. / ' 374 // मणुस्सपवेसणए णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गंगेया! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-समुच्छिममणुस्सपवेसणए ग // 807 // भवतियमणुस्सपवेसणए य / एगे भंते! मणुस्से मणुस्सपवेसणएणं पविसमाणे किं समुच्छिममणुस्सेसु होज्जा गम्भवतियमणुस्सेसु होजा?, गंगेया! संमुच्छिममणुस्सेसु वा होजा गब्भवतियमणुस्सेसु वा होज्जा / दो भंते ! मणुस्सा पुच्छा, गंगेया! संमुच्छिममणुस्सेसु वा होज्जा गम्भवतियमणुस्से सु वा होज्जा अहवा एगे संमुच्छिममणुस्सेसु वा होज्जा एगे गन्भवतियमणुस्सेसु वा होज्जा, एवं एएणं कमेणं जहा नेरइयपवेसणए |तहा मणुस्सपवेसणएवि भाणियब्बो जाव दस / संखेज्जा भंते ! मणुस्सा पुच्छा, गंगेया! संमुच्छिममणुस्सेसु वा होज्जा गम्भवक्कंतियमणुस्सेसु वा होज्जा अहवा एगे समुच्छिममणुस्सेसु होज्जा संखज्जा गम्भवतियमगुस्सेसु वा होज्जा अहवा दो संमुच्छिममणुस्सेसु होज्जा संखेज्जा गब्भवक्कंतियमणुस्सेसु होज्जा एवं एक्ककं उस्सारितेसु जाव अहवा संखेजा संमुच्छिममणुस्सेंसु होजा संखजा गम्भवकंतियमणुस्सेसु होजा॥ [प्र०] हे भगवन् ! मनुष्यप्रवेशनकवडे प्रवेश करतो एक मनुष्य शुं संमृच्छिम मनुष्योमां होय के गर्भज मनुष्योमा होय! CARRAM For Private and Personal Use Only
SR No.020108
Book TitleBhagvati Sutram Part 03
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1938
Total Pages212
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size12 MB
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