________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्याख्याप्राप्तिः 808 // उदेश BI[उ.] हे गांगेय ! ते संमूच्छिम मनुष्योमा पण होय अने गर्भजमनुष्योमा पण होय. [प्र०] हे भगवन् ! वे मनुष्यो मनुष्यप्रवेश-17 नकवडे प्रवेश करता-इत्यादि प्रश्न. [उ.] हे गांगेय ! बे मनुष्यो समूच्छिम मनुष्योमां पण होय अने गर्भज मनुष्योमां पण होय.15 |9 शतके अथवा एक संमूञ्छिम मनुष्यमां होय अने एक गर्भजमनुष्यमा होय. ए प्रमाणे ए क्रमथी जेम नैरयिकप्रवेशनक कडं तेम मनुष्यप्रवेशनक पण यावद् दश मनुष्यो सुधी कहे. [प्र०] हे भगवन् ! संख्याता मनुष्यो मनुष्यप्रवेशनकवडे प्रवेश करता इत्यादि प्रश्न. 18001 [उ०] हे गांगेय! तेओ संमृच्छिम मनुष्यमां पण होय अने गर्भज मनुष्यमां पण होय. अथवा एक संमूछिम मनुष्योमा होय अने | संख्याता गर्भज मनुष्योमा होय. अथवा चे संमूञ्छिम मनुष्योमा होय अने संख्याता गर्मज मनुष्योमा होय. ए प्रमाणे एक एक | वधारता यावद् अथवा संख्याता संमूर्लिछम मनुष्योमा अने संख्याता गर्भज मनुष्योमा होय. | असंखेज्जा भंते! मणुस्सा पुच्छा,गंगेया! सब्वेवि ताव समुच्छिममणुस्सेसु होजा अहवा असंखेज्जा संमुछिममणुस्सेसु एगे गम्भवतियमणुस्सेसु होजा अहवा असंखेवा समुच्छिममणुस्सेसु दो गम्भवऋतियमणु| स्सेसु होज्जा एवं जाव असंखेज्जा संमुच्छिममणुस्सेसु होजा संखेज्जा गम्भवतियमणुस्सेसु वा होजा // उक्कोसा भंते! मणुस्सा पुच्छा, गंगेया! सब्वेवि ताव संमुच्छिममणुस्सेम होजा अहवा समुच्छिममणुस्सेसु य गम्भवकतियमणुस्सेसु वा होज्जा / एयस्स णं भंते! समुच्छिममणुस्सपवेसणगस्स गन्भवतियमणुस्सपवेसणगस्स य कयरे 2 जाब विसेसाहिया?, गंगेया ! सव्वत्थोवा गन्भवतियमणुस्सपवेसणए समुच्छिममणुस्सपवेसणए असंखेगुजणे // (सूत्रं 375) // 55*555 + A R For Private and Personal Use Only