________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * ** ** [प्र०] हे भगवन् ! रसप्रभापृथिवीनैरयिकप्रवेशनक, शर्कराप्रभापृथिवीनरयिकप्रवेशनक, यावद् अधःसप्तमपृथिवीनैरयिकप्रवेशनव्याख्या IPI कमां कया प्रवेशनको कया प्रवेशनकोथी यावद् विशेषाधिक छे ? [उ०] हे गांगेय! सौथी अल्प अधःसप्तमपृथिवीनरयिकप्रवेशनक प्राप्ति छे, तेना करतां तमापृथिवीनैरयिकप्रवेशनक असंख्येयगुण छे. ए प्रमाणे विपरितक्रमथी यावत् रत्नप्रभापृथिवीनैरयिकप्रवेशनक // 805 // असंख्यातगुण छ. // 373 // तिरिक्खजोणियपवेसणए णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गंगेया! पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-एगिदियतिरिक्ख Pl05 जोणियपवेसणए जाव पंचेंदियतिरिक्खजोणियपवेसणए / एगे भंते ! तिरिक्वजोणिए तिरिक्खजोणियपवेसणएणं पविसमाणे किं एगिदिएसु होज्जा जाव पंचिंदिएसु होज्जा!, गंगेया! एगिदिएसु वा होज्जा जाव पंचिंदिएसु वा होज्जा / दो भंते ! तिरिक्खजोणिया पुच्छा, योस्तिरश्नोईिक- | गंगेया! एगिदिएसु वा होज्जा जाव पंचिं योगे. भनाः दियएसु वा होज्जा, अहवा एगे एगिदिएसु होज्जा ए गे बेइंदिपसु होज्जा एवं जहा नेरइयपवे. सणए तहा तिरिक्खजोणियपवेसणएवि भाणियब्वे | :3 25 एवं 1434 भङ्गाः जाव असंखेजा। उक्कोसा भंते ! तिरिक्ख| जोणिया पुच्छा, गंगेया! सब्वेवि ताव एगिदिएसु| " | होज्जा अहवा एगिदिएसु वा बेइंदिरसुवा | होज्जा, एवं जहा नेरतिया चारिया तहा तिरिक्वजो- | 23 55 _|णियावि चारेयव्या, एगिदियं अमुश्चंतेमु | दुयासंजोगो तियासंजोगो चउक्कसंजोगो पंचसंजोगो य उवउज्जिऊण भाणियब्वो जाव अहवा एगिदिएसु वा | वेइंदिय जाव पंचिंदिएसु वा होज्जा // एयस्स णं भंते ! एगिदियतिरिक्खजोणियपवेसणगस्स जाव पंचिंदि RRORISASARASHTRA For Private and Personal Use Only