________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandir C विकल्प-) 1 अथवा रत्नप्रभा शर्कराप्रभा यावत् धूमप्रभा अने तमःप्रभामा होय. 2 अथवा रत्नप्रभा यावद् धूमप्रभा अने अधःसप्तमपृथिवीमां होय. 3 अथवा रत्नप्रभा शर्कराप्रभा यावत् पंकप्रभा तमःप्रभा अने अधःसप्तम पृथिवीमां होय. 4 अथवा रत्नप्रभा शर्कराप्रभा वालुकाप्रभा धूमप्रभा तमःप्रभा अने तमःतमःप्रभामा होय. 5 अथवा रत्नप्रभा शर्कराप्रभा पंकप्रभा यावद् अधःसप्तमपृथिवीमा होय. 6 अथवा रत्नप्रभा वालुकाप्रभा यावद् अधःसप्तमपृथिवीमां होय. (सप्तसंयोगी 1 विकल्प-) अथवा रत्नप्रभा शर्कराप्रभा, | यावत् अवासप्तमपृथिवीमां होय. (ए रीते उत्कृष्ट पदना 1-6-15-20-15-6-1 मळी 64 विकल्पो थाय छे.) व्याख्याप्रज्ञप्तिः 804 // 9 शतके 5 उद्देशान 16080 . . 15 त्रिकयोगे पञ्च दशभका: 24 चतुष्कसंयोगे विंशतिर्भङ्गाः rror-.-.. . . . . . memurry rrrrrrrrrwwwwww ...द्विकयोगे पाः एवं 20 पञ्चकसंयोगे पञ्चदश भनाः एयस्स णं भंते! रयणप्पभापुढविनेरइयपवेसणगस्स सकरप्पभापुढवि० जाव अहेसत्तमापुढविनेरइयपवेसणगस्स य क - यरे 2 जाव विसेसाहिया वा?, गंगेया! सम्वत्थोवे अहेसत्तमापुढविनेरइयपवेसणए तमापुढविनेरइयपवेसणए असंखज्जगुणे एवं पडिलोमगं जाव रयणप्पभापुढविनेरहयपवेसणए असंखज्जगुणे // (सूत्रं 373) // षड्योगे भाका 12 %ES For Private and Personal Use Only