________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्याख्याप्राप्ति // 803 // शतके उद्देशा // 803 // ॐिCACCUMACHARASHTRASx [प्र.] हे भगवन् ! नैरयिकप्रवेशनकवडे प्रवेश करता नैरयिको उत्कृष्टपदे शुं रत्नप्रभामां होय ?-इत्यादि प्रश्न. [उ०] हे गांगेय!१ सर्व नैरयिको उत्कृष्टपदे रत्नप्रभामां होय. (द्विकसयोगी छ विकल्प-)१ अथवा रत्नप्रभामां अने शर्कराभामां होय.२ अथवा रत्नप्रभा अने वालुकाप्रभामां होय. ए प्रमाणे यावद् अथवा 6 रत्नप्रभा अने अधःसप्तमपृथिवीमां पण होय, (त्रिकसंयोगी 15 चिकल्प-)१ अथवा रत्नप्रभा शर्कराप्रभा अने वालुकाप्रभामां होय. ए प्रमाणे यावद् 5 रत्नप्रभा शर्कराप्रभा अने अधःसप्तमपृ|थिवीमां होय. 6 अथवा रत्नप्रभा वालुकाप्रभा अने पंकप्रभामां पण होय. यावद् 10 अथवा रत्नप्रभा वालुकाप्रभा अने अधासप्तमपृथिवीमां होय. 11 अथवा रत्नप्रभा पंकप्रभा अने धूमप्रभामां होय. ए प्रमाणे जेम रत्नप्रभाने मुक्या शिवाय त्रण नैरयिकोनो त्रिकसंयोग कहो तेम अहीं कहे . यावद् 15 अथवा रत्नप्रभा, तमःप्रभा तमातमःप्रभामां पण होय.(चतुःसंयोगी २.विकल्प)१ अथवा रत्नप्रभा शर्कराप्रभा वालुकाप्रभा अने पंकप्रभामां होय. 2 अथवा रत्नप्रभा शर्कराप्रभा वालुकाप्रभा अने धूमप्रभामां होय. यावत् 4 अथवा रत्नप्रभा शर्कराप्रभा वालुकाप्रभा अने अधःसप्तमपृथिवीमां पण होय. 5 अथवा रत्नप्रभा शर्कराप्रथा पंकप्रभा अने धूमप्रभामा होय. ए प्रमाणे रत्नप्रभाने मूक्या शिवाय जेम चार नैरयिकोनो चतुष्कसंयोग कह्यो छे तेम अहीं कहेवो. यावद् 20 अथवा रत्नप्रभा धूमप्रभा तमःप्रभा अने तमःतम प्रभामा होय. (पंचसंयोगी 15 विकल्प) 1 अथवा रत्नप्रभा शर्कराप्रभा वालुकाप्रभा पंकप्रभा अने धूमप्रभामां होय. 2 अथवा रत्नप्रभा यावत् पंकप्रभा अने तमप्रभामां होय. 3 अथवा रत्नप्रभा यावत् पंकप्रभा अने अधःसप्तमपृथिवीमां होय. 4 अथवा रत्नप्रभा शर्कराप्रभा वालुकाप्रभा धूमप्रभा अने तमःप्रभामां होय. ए प्रमाणे रत्नभनाने छोड्या शिवाय जेम पांच नैरयिकोनो पंचसंयोग कह्यो तेम कहेवो. यावद् 15 अथवा रत्नप्रभा पंकप्रभा यावद् अधःसप्तमपृथिवीमां होय. (षट्कसंयोगी छ R-64588445 For Private and Personal Use Only