________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandir 17 अथवा एक शर्कराप्रभामा यावत् एक पंकप्रभामा एक धूमप्रभामां अने एक अधःसप्तममा होय. 18 अथवा एक शर्कराप्रभामा यावद् एक पंकप्रभामां एक तमामां अने एक अधःसप्तममा होय. 19 अथवा एक शर्कराप्रभामा एक वालुकाप्रभामां एक धूमप्रभामां व्याख्याएक तमामां अने एक अधःसप्तममां होय. 2. अथवा एक शर्कराप्रभामां एक पंकप्रभामां यावत् एक अधःसप्तममा होय. 21 अथवा है ९सके प्रज्ञप्तिः एक वालुकाप्रभामां यावत् एक अधःसप्तममा होय. उद्देशान // 792 // छन्भंते ! नेरइया नेरयप्पवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होजा? पुच्छा, गंगेया! रयणप्पभाए वा | // 792 // होजा जाव अहेसत्तमाए वा होजा 7 अहवा एगे रयण. पंच सक्करप्पभाए वा होजा अहवा एगे रयण पंच वालुयप्पभाए वा होजा जाव अहवा एगे रयण पंच अहेसत्तमाए होज्जा अहवा दो रयण चत्तारि सकरप्प|भाए होजा जाव अहवा दो रयण चत्तारि अहेसत्तमाए होजा अहवा तिन्नि रयण तिन्नि सक्कर० एवं एएणं | कमेणं जहा पंचण्हं दुयासंजोगो तहा छण्हवि भाणियव्चो नवरं एको अभहिओ संचारेयब्वो जाव अहवा पंच तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा, अहवा एगे रयण०एगे सकर चत्तारि वालुयप्पभाए होजा अहवा एगे रयण. एगे सकर० चत्तारि पंकप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे रयण एगे सकर. चत्तारि अहेसत्तमाए होजा अहवा लाएगे रयण दो सक्कर तिन्नि बालुयप्पभाए होजा, एवं एएणं कमेणं जहा पंचण्हं तियासंजोगो भणिओ तहा छण्हवि भाणियब्बो नवरं एको अहिओ उच्चारेयम्बो, सेसं तं चेव 34, चउकसंजोगोवि तहेव, पंचगसंजोगोवि 4 तहेव, नवरं एक्को अन्भहिओ संचारेयब्बो जाव पच्छिमो भंगो अहवा दो वालुय. एगे पंक०एगे धूम.एगे तमाम AACHAR For Private and Personal Use Only