________________ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org व्याख्याप्राप्तिः ||788 // OLESCESS अथवा एक रत्नप्रभामां वे शर्कराप्रभामां अने बे वालुकाप्रभामा होय. ए प्रमाणे यावत् 5 अथवा एक रत्नप्रभामां वे शर्कराप्रभामां अने वे अधःसप्तम नरकमां होय. ('एक बे में ना विकल्पने आश्रयी ए पांच भंग थया.) 1 अथवा वे रत्नप्रभामां एक शर्कराप्रभामां अने चे वालुकाप्रभामां होय. ए प्रमाणे यावद् 5 अथवा चे रत्नप्रभामा एक शर्कराप्रभामां अनेचे अधःसप्तम नरकमां 9 शतके होय. ('बे एक वें विकल्पने आश्रयी ए पांच भंग थया.) 1 अथवा एक रत्नप्रभामां शर्कराप्रभामांत्रण अने एक वालुकाप्रभामां उद्देशन होय. ए प्रमाणे यावत् 5 अथवा एक रत्नप्रभामांत्रण शर्कराप्रभामां अने एक अधःसप्तममा होय. ('एक त्रण एक' ने आश्रयी पांच // 7887 मंग थया.) 1 अथवा वे रत्नप्रभामां बे शर्कराप्रभामा अने एक वालुकाप्रभामां होय. ए प्रमाणे यावत् 5 वे रत्नप्रभामां बेशर्कराप्रभामां अने एक अधःसप्तममां होय. ('बे वे एक ने) आश्रयी पांच भंग थया.)१ अथवा त्रण रत्नप्रभामां एक शकराप्रभामां अने12 एक वालुकाप्रभामां होय. ए प्रमाणे यावत् 5 अथवा त्रण रत्नप्रभामां एक शर्कराप्रभामां अने एक अधःसप्तममा होय. (ए 'त्रण | एक एक'नी अपेक्षाए पांच भंग थया.) (30).1 अथवा एक रत्नप्रभामा एक वालुकाप्रभामां अने त्रण पंकप्रभामां होय. ए प्रमाणे एक्रमथी जेम चार नैरयिकोनो त्रिकसंयोग कह्यो तेम पांच नैरयिकोनो पण त्रिकसंयोग कहेवो, परन्तुत्यां एकनो संचार कराय छ, इह दोन्नि, सेसं तं | त्रिकसंयोगे | चेव जाव अहवा तिन्नि धूमप्पभाए एगेतमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयण०एगे सकर | 90 रख एगे वालुय० दो पंकप्पभाए होजा, एवं जाव अहवा एगे रयण० एगे सकर 6. शरा एगे वालुय. दो अहे-11 वालुकप्रभा सत्तमाए होजा 4 अहवा एगे रयण. एगे सकर दो बालुय. एगे पंकप्प. भाए होजा एवं जाव|१८ पंकप्रभा | अहेसत्तमाए 8, अहवा एगे रयण दो सक्करप्पभाए एगे वालुय. एगे |6 धूमप्रभा पंकप्पभाए होजा एवं | एवं 210 | जाव अहवा एगे रयण दो सक्कर० एगे अहेसत्तमाए होजा 12 अहवा दो PRECASTCAREKANAKACEBCA For Private and Personal Use Only