________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra wwww.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandie रयण एगे सक्करप्पभाए होज्जा एवं जाव अहवा चत्तारि रयण. एगे अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे सक्कर चत्तारि वालुयप्पभाए होज्जा एवं जहा रयणप्पभाए सम उवरिमपुडधीओ चारियाओ तहा सक्करप्पभाएवि समं व्याख्या ९शतके चारेयव्याओ जाव अहवा चचारि सकरप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा एवं एकेकाए समं चारेयवाओ जाव प्रज्ञप्तिः उद्देशा अहवा चत्तारि तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयण. एगे सक्कर तिन्नि क्लुयप्पभाए होज्जा // 786 // 1 [प्र०] हे भगवन् ! पांच नैरयिको नैरयिकप्रवेशनवडे प्रवेश करता शुं रत्नप्रभामां होय-इत्यादि प्रश्न. [उ.] हे गांगेय! | // 78 // दू१ रत्नप्रभामां पण होय, अने यावत् 7 अधःसप्तम पृथिवीमां पण होय. (ए प्रमाणे एक संयोगी सात विकल्प थया.) अथवा एक रत्नप्रभामां अने चार शर्कराप्रभामा होय. यावत् 6 अथवा एक रत्नप्रभामा अने चार अधःसप्तम नरकमां होय. (ए प्रमाणे 'एकाद अने चार' विकल्पना रत्नप्रभा साथे बीजी पृथ्वीओनो योग करता छ भांगा थाय.) 1 अथवा बे रत्नप्रभामां अने त्रण शर्कराप्रभामां होय. ए प्रमाणे यावत् 6 अथवा बे रत्नप्रभामां अने त्रण अधःसप्तम पृथिवीमां होय. (ए रीते 'बे ने त्रण' विकल्पना छ भांगा थया.) 1 अथवा प्रण रत्नप्रभामां अने बे शर्कराप्रभामा होय. ए प्रमाणे यावत् 6 त्रण रत्नप्रभामां अने बे अधःसप्तम पृथिवीमां होय. (ए रीते 'त्रण ने बे' विकल्पना छ भांगा थया.) 1 अथवा चार रत्नप्रभामां अने एक शर्कराप्रभामां होय. ए प्रमाणे यावत् 6 अथवा चार रत्नप्रभामां अने एक अधःसप्तम पृथिवीमां पण होय. (एम 'चार ने एक' विकल्पना छ, अने बधा मळीने रत्नप्रभाना संयोगहैवाळा चोवीश विकल्प थया.) 1 अथवा एक शर्कराप्रभामां अने चार वालुकाप्रभामां होय. ए प्रमाणे जेम रत्नपभानी साथे बीजी उपरनी नरक पृथिवीओनो योग कयों, तेम शर्कराप्रभानी साथे उपरनी नरक पृथिवीओनो संयोग करवो. यावद 20 अथवा चार For Private and Personal Use Only