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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * एक शर्कराप्रभामां एक वालुकाप्रभामां एक पंकप्रभामां अने एक धूमप्रभामा होय. ए प्रमाणे जेम रत्नप्रभापृथिवीनो बीजी उपरनी पृथिवीबो साथे संचार (योग) कयों, तेम शर्कराप्रभा पृथिवीनो पण बीजी बधी उपरनी पृथिवीओ साथे योग करवो; यावत् 10 F9 शतके अथवा एक शर्कराप्रभामां एक धूमप्रभामां एक तमामां अने एक अधःसप्तम नरकमां होय. (शर्कराना संयोगवाळा दश विकल्प थया.) प्राप्ति | उद्देशान 1 अथवा एक वालुकाप्रभामां एक पंकप्रभामां एक धूमप्रभामां अने एक तमःप्रभामां होय. 2 अथवा एक वालुकाप्रभामां 785 // | // 785 // एक पंकप्रभामां एक धूमप्रभामा अने एक अधःसप्तम पृथिवीमां होय. 3 अथवा एक वालुकाप्रभामां एक पंकप्रभामां एक तमःप्रभामां अने एक अधःसप्तम पृथिवीमा होय. 4 अथवा एक वालुकाप्रभामा एक धूमप्रभामा एक तमामां अने एक अधःसप्तम नरकमां होय. (ए प्रमाणे वालकाप्रभाना संयोगवाळा चार विकल्प थया.) 1 अथवा एक पंकप्रभामां एक धूमप्रभामां एक तमःभमां अने एक अधःसप्तम नरकमां होय. (ए प्रमाणे 20-10-4-1 मळीने चतुःसंयोगी पांत्रीश विक्ल्प थया. अने सर्व मळीने चर नैरयिकने आश्रयी एकसंयोगी 7, द्विकसंयोगी 63, त्रिकसंयोगी 105 अने चतुःसंयोगी 35 वधा मळीने बसो दस विकल्पो थाय छे.) पंच भंते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होज्जा ? पुच्छा, गंगेया ! रयणप्पभाए 5 वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा अहवा एगे रयण चत्तारि सकरप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयण. चित्तारि अहेसत्तमाए होज्जा अहवा दो रयण तिन्नि सक्करप्पभाए होज्जा एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए तिन्नि अहेसत्तमाए होज्जा अहवा तिन्नि रयण दो सकरप्पभाए होज्जा एवं जाव अहेसत्तमाए होज्जा अहवा चत्तारि AARAKAASKARE For Private and Personal Use Only
SR No.020108
Book TitleBhagvati Sutram Part 03
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1938
Total Pages212
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size12 MB
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