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व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥३९७॥
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| अने मिश्र द्रव्यो परिगृहीत कर्यां छे माटे ते हेतुथी तेओने परिग्रहवाळा कह्या छे ए प्रमाणे यावत्-स्तनितकुमारो माटे पण जाणवू. 14
५ शतके जेम नरयिको माटे कयुं तेम एकेन्द्रियो माटे जाणवं. | बेइंदिया णं भंते ! किं सारंभा सपरिग्गहा तं चेव जाव सरीरा परिग्गहिया भवंति, बाहिरिया
उद्देशः७ भंडमत्तोवगरणा परि० भवंति, सचित्ताचित्त. जाव भवंति, एवं जाव चउरिंदिया, पचेदियतिरिक्ख
||३९७॥ जोणिया णं भंते ! तं चेव जाव कम्मा परि० भवन्ति, टंका कूडा सेला सिहरी पन्भारा परिग्गहिया भवंति,जलथलबिलगुहालेणा परिग्गहिया भवंति,उज्झरनिज्झरचिल्ललपल्ललवप्पिणा परिग्गहिया भवंति, अगडतडागदहनदीओ वाविपुक्खरिणीदीहिया गुंजालिया सरा सरपंतियाओ सरसरपंतियाओ बिलपतीयाओ परिग्गहियाओ भवंति, आरामुजाणा काणणा वणाई वणसंडाई वणराईओ परिग्गहियाओ भवंति, देवउलसभापवाथूभाखातियपरिखाओ परिग्गहियाओ भवंति,पागारट्टालगचरियदारगोपुरा परिग्गहिया भवंति, पासादघरसरणलेणआवणा परिग्गहिता भवंति,सिंघाडगतिगचउक्कचच्चरचउम्मुहमहापहा परिग्गहिया भवंति, सगडरजाणजुग्गगिल्लिथिल्लिसीयसंदमाणियाओ परिग्गहियाओ भवंति, लोहीलोहकडाहकडुच्छुया परिग्गहिया भवंति,भवणा परिग्गहिया भवंति,देवा देवीओ मणुस्सा मणुस्सीओ तिरिक्खजोणिओ तिरिक्खजोणिणीओ आसणसयणखभभंडसचित्ताचित्तमीसयाई दब्वाइं परिग्गहियाई भवंति, से तेणटेणं, (जहा) तिरिक्खजोणिया तहा मणुस्साणवि भाणियब्वा, वाणमंतरजोतिसवेमाणिया जहा भवणवासी तहा नेयव्वा (सू० २१८)
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