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५ शतके
देवस होय महार सुनिन्त हा, एज रीते हो
उद्देशः१ ॥३३४॥
| मुहूर्त करतां कांइक वधारे लांबी रात्री होय छे ? [उ.] हे गौतम ! हा, एज रीते होय छे-जंबूद्वीपमा यावत्-रात्री होय छे. [प्र०] ध्याख्या
हे भगवन् ! ज्यारे जंबूद्वीपमा मंदर पर्वतनी पूर्व अढार मुहूर्तानन्तर दिवस होय छे त्यारे पश्चिमे अढार मुहूर्तानन्तर दिवस होय छे प्रज्ञप्तिः
| अने ज्यारे पश्चिमे अढार मुहूर्तानन्तर दिवस होय छे त्यारे जंबूद्वीपमां मंदर पर्वतनी उत्तर दक्षिणे वार मुहूर्त करतां कांइक वधारे | ॥३३४॥ लांची रात्री होय छ ? [उ.] हे गौतम ! हा, एंज रीते होय छे.
एवं एतेणं कमेणं ओसारेयव्वं, सत्तरसमुहुत्ते दिवसे तेरसमुहुत्ता राती भवति, सत्तरसमुहुत्ताणतरे दिवसे सातिरेगा तेरसमुहुत्ताराती, सोलसमुहुत्ते दिवसे चोहसमुहुत्ता राई, सोलसमुहुत्ताणतरे दिवसे सातिरेगचोदसमुहुत्ता राती, पन्नरसमुहुत्ते दिवसे पन्नरसमुहुत्ता राती भवति, पन्नरसमुहुत्ताणतरे दिवसे सातिरेगा पन्नरसमुहुत्ता राती, चोद्दसमुहुत्ते दिवसे सोलसमुहुत्ता राती, चोद्दसमुहुत्ताणतरे दिवसे सातिरेगा सोलसमुहुत्ता राती, तेरसमुहुत्ते दिवसे सत्तरसमुहुत्ताराती, तेरसमुहुत्ताणतरे दिवसे सातिरेगा सत्तरसमुहुत्ता राती। जया णं जंबु. दाहिणड्ढे० जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति तया णं उत्तरड्ढेवि, जया णं उत्तरड्ढे तया णं जंबुद्दीवे २ मंदरस्स पब्बयस्स पुरच्छिमेणं उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति ?, हंता गोयमा! एवं चेव उच्चारेयव्वं जाव
राई भवति । जया भंते! जंबु० मंदरस्स पब्वयस्स पुरच्छिमेणं जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति तया हणं पचत्थिमेणवि०, तया णं जंबु० मंदरस्स उत्तरवाहिणेणं उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति', हंता
गोयमा! जाब राती भवति ॥ (सू० १७६)
यस पुसालसमुहत्ते दिवसमहत्ताणतरे दिवस ताणतरे दिवसे सातिदिवसे सातिरेगा पा
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