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व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥३३५॥
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___ए प्रमाणे ए क्रमवडे दिवसर्नु माप ओछु कर अने रात्रीचें माप वधारज्यारे सत्तर मुहर्तनो दिवस होय त्यारे तेर मुहूर्तनी || रात्री होय. ज्यारे सत्तर मुहूर्त करतां कांइक ओछो-लांबो-दिवस होय त्यारे तेर मुहर्त करतां काइक वधारे-लांबी-रात्री होय.
५ शतकै | ज्यारे सोळ मुहूर्तनो दिवस होय त्यारे चौद मुहूर्तनी रात्री होय. ज्यारे सोळ मुहर्त करतां कांइक ओछो दिवस होय त्यारे चौद | मुहूर्त करतां काइ पधारे रात्री होय. ज्यारे पन्नर मुहूर्तनो दिवस होय त्यारे पन्नर मुहर्तनी रात्री होय. ज्यारे पन्नर मुहूर्त करतां
उमेश | कांइक ओछो दिवस होय त्यारे पन्नर मुहूर्त करतां कांइक वधारे रात्री होय. ज्यारे चौद मुहूर्तनो दिवस होय त्यारे सोळ मुहूर्तनी
॥३३५॥ | रात्री होय. ज्यारे चौद मुहूर्त करतां कांइक ओछो दिवस होय छे त्यारे सोळ मुहूर्त करता काइक वधारे रात्री होय छे. ज्यारे तेर | मुहूर्तनो दिवस होय छे त्यारे सत्तर मुहूर्तनी रात्री होय हे. ज्यारे तेर मुहूर्तनो दिवस होय छे त्यारे सत्तर मुहूर्तनी रात्री होय छे. | ज्यारे तेर मुहूर्त करतां काइक ओछो दिवस होय छे त्यारे सत्तर मुहूर्त करतां कांइक वधारे रात्री होय छे. [म.] हे भगयन् ! ज्यारे जंबूद्वीपमा दक्षिणार्धमा नानामां नानो बार मुहूर्तनो दिवस होय छे त्यारे उत्तरार्धमा पंण तेमज होय छे अने ज्यारे उत्तरार्धमा तेम होय हे त्यारे जंबूद्वीपमा मंदर पर्वतनी पूर्व, पश्चिमे मोटामा भोटी अढार मुहूर्तनी रात्री होय छे ? [उ० हे गौतम ! हा, एज | रीते होय हे-ए प्रमाणेज बधुं कहेवू यावत्-रात्री होय छे. [प्र०] हे भगवन् ! ज्यारे जंबूद्वीपमा मंदर पर्वतनी पूर्वे नानामां नानो
बार मुहतनो दिवस होय छे त्यारे जंबूद्वीपमां मंदर पर्वतनी उत्तर दक्षिणे मोटामां मोठी अढार मुहूर्तनी रात्री होय छे? [उ०] हे | गौतम ! हा, एज रीते होय छे-यावत्-रात्री थाय छे. ॥ १७६ ।।
जया णं भंते ! जंबू० दाहिणड्ढे वासाणं पढमे समए पडिवजह तया णं उत्तरढेवि वासाणं पढमे समए
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