________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatrth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥४३९॥
६ शतके उद्देशः३ | ॥४३९।।
294-9-
4
किं सुहमे बंधड़ बायरे बंधइ नोसहुमेनोबादरे बंधइ ?, गोयमा ! सुहमे बंधइ, बायरे भयणाए, नोमुहमे| नोबादरे न बंधइ, एव आउगवजाओ सत्तवि, आउए सुहमे बायरे भयणाए, नोसहमेनोबायरे ण बंधइ ।। | णाणावरणिजं किं चरिमे अचरिमे बं० १, गोयमा ! अट्ठवि भयणाए । ( सूत्रं २३६)॥
प्र.] हे भगवन् ! शु मतिअज्ञानी. श्रुतअज्ञानी अने विभंगज्ञानी ज्ञानावरणीय कर्म बांधे ? [उ०] हे गौतम ! आयुष्यने | वर्जीने साते कर्मप्रकृतिओ बांधे अने आयुष्यने भजनाए बांधे. [प्र०] हे भगवन् ! शुं मनयोगी, वचनयोगी, काययोगी अने अयोगी ज्ञानावरणीय कर्म बांधे ? [उ०] हे गौतम ! हेठळना त्रण मनयोगी, वचनयोगी अने काययोगी, ए त्रण भजनाए ज्ञानावरण कर्म बांधे अने अयोगी ज्ञानावरणने न बांधे. ए प्रमाणे वेदनीय सिवायनी साते कर्मप्रकतिओ माटे जाणवू अने वेदनीय कर्मने हेठलना त्रण बांधे अने अयोगी न बांध. [प्र० हे भगवन् ! शुं साकार उपयोगवाळो के अनाकार उपयोगवालो ज्ञानावरणीय कर्म बांधे ? [उ०] हे गौतम ! आठे कर्मप्रकृतिओ भजनाए बांधे. [प्र०] हे भगवन ! शु आहारक के अनाहारक जीव ज्ञानावरणीय कर्मने बांधे ? [उ.] हे गौतम ! बन्ने पण भजनाए बांधे. ए प्रमाणे वेदनीय अने आयुष्य सिवायनी छ कर्मप्रकृतिओ माटे जाणवू, | अने वेदनीय कर्म, आहारक जीव बांधे तथा अनाहारक जीव भजनाए बांधे अने आयुष्यकर्मने आहारक जीव भजनाए बांधे तथा अनाटारक जीव न बांधे. [प्र०] हे भगवन् ! शु मृक्ष्म जीन, बादर जीव के नोमूक्ष्म-नोबादर जीव ज्ञानावरण कर्मने बांधे ? [उ०]] हे गौतम : मूक्ष्म जीव बांध, बादर जीव भजनाए बांध अने नोमूक्ष्म-नोवादर जीव न बांधे, ए प्रमाणे आयुष्यने मूकीने साते कर्मप्रकृतिओ माटे पण जागवू अने आयुष्यकर्म ने मूक्ष्म जीव अने बादर जीव, ए बन्ने भजनाए बांध , तथा नोसक्षम-नोवादर
4*4%25*444
1
-44-4
For Private and Personal use only