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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥१०७॥ १ शतके उद्देशः९ ॥१०॥ परभवियाउयं पकरेति, समयं परभवियाउयं पकरेइ णोतं समयं इहवियाउयं पकरेइ, इहभवियाउयस्स पकरणताए णो परभवियाउयं पकरेति, परभवियाउयस्स पकरणताए पो इहभवियाउयं पकरेति, एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एग आउय पकरेति, तं०-इहभवियाउयं वा परभवियाउयं वा, सेवं भंते ! सेवं भंते!त्ति भगवं गोयमे जाव विहरति ॥ (म० ७६)॥ [प्र.] हे भगवन् ! अन्य मतावलंबीओ आ प्रमाणे कहे छे, आ प्रमाणे भाषे छे, आ प्रमाणे जणावे छे अने आ प्रमाणे प्ररूपे के, एकजीव एक समये चे आयुष्य करे छे. ते आ प्रमाणे-१ आ भवनु आयुष्य अने परभवर्नु आयुष्य. जे समये आ भवनुं आयुष्य करेछे ते समये परभवन आयुष्य करे छे अने जे समये परभवतुं आयुष्य करे ले ते समय आ भवतुं आयुष्य करे छे आ भवन आयुष्य करवाथी परभवनुं आयुष्य करे छे अने परभवनुं आयुष्य करवाथी आ भवन आयुष्य करे छे. ए प्रमाणे एक जीव एक समये ये आयुष्य करे . आ भवनुं आयुष्य अने परभवनुं आयुष्य. हे भगवन् ! ते ए प्रमाणे केवी रीते छे? [उ०] हे गौतम! अन्यतीर्थिकर जे ए प्रमाणे कहे छे यावत्-परभवतुं आयुष्य. तेओए जे प्रमाणे कयुं छे ते खोटुं कई छे. वळी हे गौतम ? हुँ ए प्रमाणे कहुं छ के, एक जीव एक समये एक आयुष्य करे छे. अने ते आ भवतुं आयुष्य करे छे. अथवा परभवनुं आयुष्य को ले. जे समये आ भवनुं आयुष्य करे छे ते समये परभत्रनुं आयुष्य नयी करतो अने जे समये परभवतुं आयुष्य करे छ, ते समये | आ भवनुं आयुष्य करतो नथी. तथा आ भवनुं आयुष्य करवायी परभवतुं आयुष्य करतो नयी अने परभवन आयुष्य करवाथी आ भवतुं आयुष्य करतो नथी. अने ए प्रमाणे एक जीव एक समये एक आयुष्य करे -आ भवतुं अथवा परभवनुं आयुष्य. For Private and Personal Use Only
SR No.020106
Book TitleBhagvati Sutram Part 01
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1937
Total Pages330
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size8 MB
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