________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
एक बात की आवश्यकता हमें पोर प्रतीत होती है। वह यह कि इस ग्रंथकी रचना में जिन जिन अन्यान्य ग्रंथों में सहायता मिली है, उनके लेखको' एवम् प्रकाशकों के प्रति-चाहे वह स्वदेशीय हों या विदेशीय, प्राचीन हो वा अर्वाचीन-उनके नाम समेत धन्यवाद प्रकाश करना अनिवार्य कर्तव्य है।
अन्ततः हम योग्य लेखकों के बहुवर्षा के प्रभूत. रिश्रम, अदम्य उत्साह एवम् अायुर्वेद की सेवाकी प्रशंसा करते हुए ईश्वर से यह प्रार्थना करते हैं कि इस महाकोष द्वारा अायुर्वेद के भांडार का एक बड़ा अंश पूर्ण हो तथा वय, छात्र-समुदाय एवम् रुजारी-जनता का इससे कल्याण साधन हो । कल्पतरु-प्रासाद, कलकत्ता। )
विद्वजनों का विधेयपौष, कृष्ण चतुर्दशा, सम्बत् १६६० वि०
श्री गगनाथ सेन शर्मा
For Private and Personal Use Only