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अश्मरी छेदक यंत्र
अश्मरी शर्करा चूर करने वाली औषध । अश्मरी भेदक || अश्मरी भेदः ashmari-bhedah-सं० पु. (Lithotriptic) देखो-अश्मरीहर। । पाषाणभेद वृक्ष,पाथरचुर। (Coleus aroma. : वि० अश्मरीको फोड़ने वाला, अश्मरी भेदक। _ticus.) मद० २०१।। अश्मरी छेदक यंत्र ashmari-chhedaka-अश्मरी भेदक: ashmari-bhedakah-सं०
yantra-हिं० संज्ञा पु० वस्ति में पथरी को पु. (१) पाषाण भेद । केय० दे०नि० सं० फोड़ने का यंत्र । अश्मरी भेदक यंत्र । लिथोट्रि- (हिं. संज्ञा) पु. (२) देखो-अश्मरी छेदक । प्टर Lithotriptor, लिथोट्राइट Litho- अश्मरी भेदन ashmari-bhedanatrite-इं० । आफ्रिक्रतुल् .हुसात, मिक्रत्तितुल् अश्मरी भेदनः ashmari.bhedanah हसात-अ० । ...
सं० हि. संक्षा पुं. अश्मरी द्रावक ashmari-dravak-हिं० संशा (१) अश्मरी भेदन क्रिया, पथरी तोड़ने का कर्म ।
पु. पथरी को विलीन करने वाली वा . (Lithotrity) तफ्तीतुल इसात्-१०। घुलाने अर्थात् द्रव करने वाली औषध । वह (२) किसी औषध वा यंत्र द्वारा वस्ति में हो
औषध जो अश्मरी को घुलाकर पानी कर दे। परमरी को फोड़कर टुकड़े टुकड़े करना । (३) : अश्मरी विलायक। ( Lithodialytics - पाषाण भेद । (Coleus aromaticus.) मुहल्लिलुल इसात-१०। देखो-अश्मरीहर। व० निघ०। -वि० अश्मरी को घुलाने वा द्रव करने | अश्मरी रिपुः ashmari-ripuh-सं० पु०(१) । वाला।
. (१) वृहक्षणक, बड़ा चणा । रत्ना०।२) क्षेत्रेवु
-सं० । मकाई, मुद्दा, बड़ा ज्वार-हिं । अनार अश्मरी द्रावण - ashmari dravana-हिं.
.:-** Maize ( Zea mays.): संज्ञा पु० वस्तिस्थ पथरी को विलीन करना, पथरीको धुलाना । लिथोडायालिसिस Litho
अश्मरी विदारण ashmari vidārana-हिं० dialysis-इं० । तह लीलुल् हसात, तज दीबुल
· संज्ञा पुं० शस्त्रकर्म द्वारा पथरी का निकालना ।
(Lithotomy ). इसात-अ०।
अश्मरो शर्करा ashmari-sharkari-सं० नोट-लिथोडायालिसिस के दो अर्थ होते
स्त्री० तमामक रोग विशेष । (Renal sand, हैं-(.) विनायक औषधों के द्वारा वस्ति में
Urinary sand,urinary deposits.) पथरी का विलीन करना जिसके लिए उपयुक रमल कुल्यह, रम्ल बौली, रसौब बोली-१०। हिंदी एवं अरबी शब्द प्रयुक्र हुए हैं और (२) रेगे गुर्दह वा बौल-फा०।.. किसी यंत्र के द्वारा वस्ति में ही अश्मरी का छेदन
शर्करा (रेता) और सिकता प्रमेह तथा भस्माख्य करना। इसके लिए अर्वाचीन आयुर्वेदीय चिकित्सक
रोग (मूत्र, शुक्र रोग उत्तर तन्त्रोक) ये सब "अश्मरी भेदन" एवं मिश्र देशीय चिकित्सक
पथरी ही के विकार हैं और पथरी ही घुल कर "तफ्तीतुल् हसात" शब्द का प्रयोग करते
शर्करा होती है। क्योंकि इनके लक्षण और वेदना
समान हैं। (यूनानी कीम भी पथरी और शर्करा अश्मरी प्रियः ashmari-priyah-सं०
को एक ही क्रिस्म से बताते हैं। देखो तिब्वे महा शानिधान्य । प० मु०। (See-maha- अकबर) shalih.) . .
यदि पथरी छोटी हो और वायु के अनुअश्मरी निर्माण ashmari-nirmāna-हिं. कूल हो जाए तब तो प्रायः निकल पड़ती है।
संज्ञा पु० पथरी बनना । (Lithiasis) और जो वायु द्वारा टुकड़े टुकड़े ( नन्हें नन्हें तलवुनुन् हसात-१०।
दाने से ) हो जाएं तो उन्हें शर्करा कहते हैं।
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