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अश्मरी
अश्मरी छेदक
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रखें।
.. (ख) मूत्रमार्गस्थ अश्मरी-:
नोट- कभी कभी शिराओं के भीतर कठोर (Calculus of urethra). . ..या अश्मवत् अवरोध पाया जाता है । यह वस्तुतः : .. (७) यकृदश्मरो-यकृत में बनने वाली . रक के दृढ़ तथा अश्मीभूत होने से उत्पन्न हो पथरी । हेपैटोलिथ Hepatolith-इं० ।
. जाता है। . .. . हसातुल कबिद-अ.
(.१३) अश्रवश्मरी-अप्रणालीस्थ .(3) आन्त्राश्मरी-इन्टेस्टाइनल कैलक्यु- अश्मरी, अास की नालियों की पथरी। .. लाई (Intestinal calculi .-ई।
डैक्रियोलिथ Dacryolith-इ । हसात् , यह मनुष्य एवं मांसाहारी जीवोंमें तो क्वचित्,
दम्य्य ह-श्र०। परन्तु शाकाहारी जीवों में सामान्य रूप से होता.
"k-अश्मरी कण्डनो रस: ashmali-kandano
: rasab-सं० १० ढाक, केला, तिल, करता, (६) पित्ताश्मरी-पित्ताशय वा पिस
. जौ, इमली, चिर्चिटा और हल्दी इनके क्षारों को प्रणाली में उत्पन्न होनेवाली अश्मरी । बिलियरी
· इकट्ठा करके सबका १६ वा भाग पारा, उतना ही कैलक्युलाइ Biliary calculi., गाल :
'गन्धक और इन दोनों के समान भाग उत्तम ..'स्टोन Gallstones; कोलोलिथ: Cholo
लोह भस्म मिलाकर सबका बारीक चूर्ण कर " lith, (Calculus of gall-bladder or duct.)-ई० । इसात सफराविय्यह, हसात
..मात्रा-१ तो० । इसे दही के साथ चाट कर मरारिय्यह-अ० । सफावी पथरी, पिता की
ऊपर से वरुण वृक्ष की छाल का क्वाथ पीएं। पथरी-उ.। . ...
... यह रस दुःसाध्य से भी दुःसाध्य पथरी को नष्ट नोट-इसे वस्तिस्थ अश्मरी का भेद पित्तज |
करता है। अश्मरी न समझना चाहिए । ... (१०) क्लोमग्रन्थिस्थ अश्मरो, अग्न्या. अश्मरी कृच्छ : ashmari-krichchhrah • शयिक अश्मरी-यह क्वचित् ही पाई जाती हैं |
-सं० पु. पथरी जन्य मूत्रकृच्छ , मूत्रकृच्छ और जब उत्पन्न होती है तब अधिक संख्या में |
भेद । वै० निघ०। (See-Mutra kric. मुख्य प्रणाली वा गौण प्रणाली में वर्तमान होती
hchhra )
. है । पैनक्रिएटिक कैलक्युलाई Pancreatic .. नोट-आयुर्वेद के अनुसार अश्मरीकर, .. calculi-ई । . .
... मूत्रकृच्छ, का एक भेद है । परन्तु यह पथरी के (११.) लालाग्रंथिस्थ. अश्मरी लाला
निर्माण की अवस्था में ही होता है। अस्तु यह • प्रधि वा लाला अर्थात्. लार में पाई जाने वाली
अश्मरी रोग का केवल एक लक्षण मात्र है। अश्मरी । .
अश्मरीघ्नः ashmarighnah-सं० ० । यह बाहर से खुरदरी ( कर्कश ) एवं विषमा- अश्मरान athmarighna-हिं० संज्ञा पु. ) कार होती है और साधारणतः प्रणाली के मुख के वरुण वृक्ष, बरना का पेड़ । वरुण गाद-२० । समीप पाई जाती हैं । इससे प्रणाली का मुख |
वायवरण-मह०। ( Crateeva religi. अवरुद्ध हो जाता है। सैलिवरी कैलक्युलाई । osa.) त्रिका० ।-त्रि०, वि० अश्मरीहर, Salivary Calculi-toi
! अश्मरी नाशक, पथरी को दूर करने वाला। (.१२). शिरास्थित अश्मरी -शिरा में | (Lithontriptic ) . बननेवाली पथरी ।
अश्मरो छेदक ashmari-chhedaka-हि. फ्लेबोलिथ Phlebolith-इ। इसातुल संज्ञा पु० (१) अश्मरी छेदक यंत्र (Liअहिदह - । वरीदों की पथरी-3०।
thotrjte.)। (२) अश्मरी को कोडकरपूर
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