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सारी
अश्मरी हुई वायु के वस्तिगत शुक्र के साथ मूत्रको अथवा ' पर्याय-सिष्टोलिथ ( (ys tolith ), पित्त के साथ कफ को सुखाने से क्रमश: गाय के स्टोन इन दी ब्लैडर ( Stone in the पित्त में गोरोचन के समान रत्पन्न हो जाती है। ... bladder )-ई। हसातुल . मसानह - ० ।
आयुर्वेद में इसके वातज,पित्तज कफज और शुक्रज मसाना की पथरी-30 . .. . ये चार भेद माने गए हैं। ...
(२) शुक्राश्मरी, (शुक्राशय स्थित अश्मरी) चरक, सुश्रुत, वाग्मट प्रभृति सभी प्राचीन
(Calculus of vesiculus sémi. आयुर्वेदीय ग्रंथों में जहाँ भी अश्मरी का वर्णन
nales )हुश्रा है वहाँ उन शब्द का प्रयोग केवल वस्ति |
- ( ३ ) · शिश्नाग्रत्वगश्मरी-शिग्नान गत अश्मरी के लिए किया गया है । परन्तु अब
स्वचा अर्थात् शिश्न की पूंघट में बनने यह शब्द उतने संकुचित अर्थों में नहीं लिया
• वाली अश्मरी । ( Calculus of prepजाता ।
uce)
. .. प्राचीन शास्त्रकारों को और स्थानों में बनने
(४१) प्रोस्टेट ग्रंथि-स्थित अश्मरी, वाली अश्मरियों का ज्ञान था वा नहीं अथवा
श्रीलागत अश्मरी-( Prostatic calपूर्व पुरुषों में और स्थानों में अश्मरियोंका निर्माण
cali:) प्रोस्टेट ग्रंथि वा प्रणाली में बनने वाली होता था वा नहीं ? इसके संबंध में यहाँ कुछ
पथरी । हसातुल गुद्दहे कदामियह-अ० । विशेष न कह कर हम केवल इतना ही कहना
(५) वृकाश्मरी, वृक्त की पथरी-रेनन यथेष्ट समझते हैं कि इस शब्द का प्रयोग अब
कैलक्युलाइ ( Renal calculi ), स्टोन उतने संकुचित अर्थों में नहीं होता, वरन् किसी इन दी किडनी Stone in the kidney),
भी ग्रंथ्यवयव की प्रणाली वा मार्ग अथवा | नेफ्रोलिथ (Nephrolith')-इं० । हसातुल स्वयं उस ग्रंथि में बनने वाली किसी प्रकार की कुल्यह., हसात कुल्वियह अ०। गुर्दा की पथरी को अब हम अश्मरी कह सकते हैं । यद्यपि पथरी-उ०। इन सबके निदान, सम्प्राप्ति, लक्षण तथा चिकि- वृक्काश्मरी के होने पर रोगी की पीठ की ओर त्सा प्रमृति का, चिकित्सा प्रणालीत्रय के अनु- दाहिनी या घाई तरफ वेदना रहती है। हिलने सार अपने अपने स्थल पर सविस्तार वर्णन किया | पर यह वेदना और तीव्र होती है। जब यह जाएगा; तोभी उन सब भेदों का यहाँ संक्षिप्त अश्मरी वृक्क में से निकलकर मूत्र-प्रणाली परिचय करा देना अप्रासङ्गिक ना होगा (गविनियु) में पड़ जाती है अथवा उनमें
नोट-डॉक्टरी शब्द . कैल्क्युलस का अर्थ | जब गति होती है तब वृक्कशूल ( Renal खदिका है। परंतु डॉक्टरीकी परिभाषा में प्रश्मरी / . colic) के उत्कट लक्षण पैदा हो जाते हैं।
को कहते हैं। प्राचीन पाश्चात्य शास्त्रकारभोः इसका इनके मूत्रप्रणाली में पाकर फंस जाने ही को ... प्रयोग केवल वृक ऐवं वस्तिगत अश्मरी के लिए : _ "मूत्राश्मरी" कहते हैं।
ही करते थे। परन्तु अब इससे व्यापक अर्थ | (६) मूत्राश्मरो-युरिनरी कैलक्युलाई लिया जाता है।
Urinary calculi, gitaru Urolith, .: अश्मरी के मुख्य भेद निम्न हैं -. . . . स्टोन इन दी युरिनरी, पैसेज tone in . (१) वस्त्यश्मरी-आयुर्वेदिक शास्त्रों में |, the urinary passage-ई । हसात इसका वर्णन अश्मरी शब्द के अन्तर्गत हुभा है।। बौलिय्यह-अ० । पेशाब का संगरेज़ह-उ०। इसका एक भेद शुक्राश्मरी है। परन्तु यह श्रायुर्वे.
इसके दो मेद हैं, यथा.दोक्त "शुक्राश्मरी" वस्ति में नहीं हो सकती, (क) मूत्रप्रणालीस्थ अश्मरी, गविनियुवान् इसका निर्माण बीजकोष में होता है। स्थित अश्मरी-( Calculus of ureter)
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