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अयाचित
मायापान
अधिक ग्रसित होते है जो प्रथम बार जहाज यात्रा करते हैं। सी सिक्नेस (Sea Sickness.),
नॉपेथिया ( Naupathia)-इं० । अयाचित ayachita-सं क्ली. अमृत नामक
श्राहार, बिना माँगी मिली वस्तु । "अमृतं स्याद
याचितम्" इति मनुः । अयात अस्ल ayat-asl-अज्ञात । अयादि लेप ayādi-lepa-सं० क्ली० लोहे का |
बुरादा, भांगरा, त्रिफला, और काली मिट्टी को ईख के रस में १ मास तक रख कर लेप करने से बालों का श्वेत होना बन्द होता है । वृ०
नि०र०। अयातयाम ayātayāma-हिं० वि० [सं०]
(१) जिसको एक पहर न बीता हो। (२) जो वासी न हो। ताजा । (३) विगत दोष । शुद्ध । (४) मनतिक्रांत काल का। दीक समय
का। अयादत ayadat-अ. बीमार पुर्सी, रोगी से
उसकी हालत पूछना । अयानम् ayanam-सं० क्ली० । स्वभाव, अयान ayana-हिं० संज्ञा पु. । प्रकृति,
निसर्ग । नेचर ( Nature )-इं० । हारा । (२) अचंचलता। स्थिरता । -वि० [सं०]
विना सवारी का | पैदल । भयान āayan-( रसा० परि०), पारद, पारा ।
(Mercury). अयाना ayana-मह. खाजा हिं० । कर्गनेलिया
-हिं० । ( Briedelia montana )
मेमो० । प्रयापनम् ayspanam-को.] --हिं०, मह० अयापान ayapana ! बं० । अयपानि अयापना ayapana -ता०,ते। अरstrargra áyá pána | कल, तत्री-पं०
अग(या)पा(प)नम्-को० । अल्लाप, एल्लिपा, अल्लापा-गु० । युपेटोरियम् प्रयापना (Eupatorium Ayapana, Vent.)-ले० । बोनसेट ( Boneset), थॉरोवर्ट (Thorough wort )-इं० । अयप्पनै-ता० । निर्विषा ।।
-बं० । रामागणम्, विशल्यकरणी-सं० (वै० श० सिं.).
শিল্প বা (N. 0. Compositae.) नॉट ऑफिशल ( Not official.)
उत्पत्ति-स्थान-श्रमरीका वा बाजील इसका मूल निवासस्थान है; परन्तु अधिक काल से यह भारतवर्ष में भी लगाया गया है। यह पाई स्थानों, चरागाहों तथा झील एवं नदी तटों पर होता है।
इतिहास-वेण्टीनाट ने इसे अमेज़न नदी (दक्षिण अमरीका की एक नदी) तट पर भी उगा हुधा पाया । इसका एक अन्य भेद युपेटोरियम् पोलिएटम् ( E. Perfoliatum ) अमरीका में ज्वरघ्न ख़याल किया जाता है। ऐन्सली इसके विषय में वर्णन करते हैं-"यह एक लघु तुप है जो सर्व प्रथम फ्रांसीय द्वीपों से भारनवर्षमें लाया गया। देशी चिकित्सकों को अब भी इसके विषय में बहुत कम ज्ञात है। यद्यपि इसके प्रिय, किञ्चित् सुगंधिमय, किन्तु विशेष गंध के कारण इसमें औषधीय गुण होने का उन्हें विश्वास है। मॉरीशियस में यह बहुत विख्यात है
और वहाँ इसे परिवर्तक तथा स्कर्वीनाशक ायाल किया जाता है । इसने अन्तः रूप से औषधीय उपयोग के लिए युरूपीय चिकित्सकों को अब तक सर्वथा निराश रक्खा है। इसकी पत्तियों के शीतकषाय का स्वाद ग्राह्य एवं कुछ कुछ मसालावत् होता है और यह एक उत्तम पथ्य पेय है। ताज़ा होने पर कुचल कर मुख मण्डलके बुरे पतों के परिमार्जनार्थ प्रयुक्त करने के लिए यह सर्वोत्तम व्रणशोधक है" । डायर महोदय माननीय ऐन्सलो को सूचित करते हैं कि इसे शुष्क कर, फ्रांस जहाँ कि चीनी चाय की प्रतिनिधि स्वरूप, एक प्रकार की चाय बनाने में इसका उपयोग होता है, भोजन के लिए बोर्बन (Bourbon) द्वीप में उक्त पौधे की कृषि की जाती है। गिवर्ट ( Guibourt) के अनुसार अब यह करीब करीब विस्मृत सा होगया है। फार्माकोपिया ऑफ इण्डिया से इसके विषय में निम्न सूचना
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