SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 597
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शुक्र प्रयम् ५५५ अयाउल्बही अयपान-हिं०, म०, बं० । ( Eupatorium अयस्कार: ayas-kārah-सं० पु. ) (1) Aya pana, Vent ) सल्फा० ई० । फा० अयस्कार ayaskāra हिं० संज्ञा पुं० । जवान इं०२ भा० । देखो-यापना । __ भाग | ( Foreleg. ) त्रिका० । (२) अयम् ayam-जा० खुम्बी, कुम्बी-हिं० । ( Ca-! लोहार । reya Arborea, Roxb. ) मेमो०। अयस्कृतिः ayaskritih-सं० स्त्री० (१) फोलाद के बारीक पत्र बनाकर लवण वर्ग से उन पर लेप अयमोदकम् aya-modakam-मल. अजवाइन-हिं० । Carum ( Ptychotis) करके जंगली कंडोंमें १६ बार खूब तपाकर त्रिफला A jowan, P. C. । स० फा० इ० | और सालसारादिगणके क्वाथ में उनको बुझाएँ । फिर इसी तरह १६ बार खैर के कोयलों में तपा अयलूरचे ayalārache-फ़ा. अगर-हिं० । कर बुझाएँ, ठण्डा होने पर उनका बहुत बारीक ( Aloe wood. ) चूर्ण कर ले, फिर गाढ़े कपड़े से छानकर भयव ayava-हिं० संज्ञा पुं० [सं०] पुरीष रक्खें । बलानुसार इसकी मात्रा घी और शहद के का एक कीड़ा जो यव से छोटा होता है । (२) साथ खाएँ। इसके पच जाने पर खटाई और नमक को छोड़कर व्याधिशामक आहार करें। अयशिन्दूरमु aya-shindür imu-ता० मराडूर । इसके ४०० तो० खाने से कुष्ठ, प्रमेह, मेदवृद्धि, ( Ferri peroxide.) स० फा० ई०। शोथ, पाण्डु, उन्माद और अपस्मार नष्ट होते अयम् ayam-सं० क्ली० । (१) लौह हैं। रस. यो. सा०। (२) प्रमेह विषयक भयस ayas मात्र । लोहा। योग विशेष । वा० चि० अ० १२ प्रमेह । अयसम् ayasam " Iron (Fe- अयस्कोट: ayaskotah-सं०० मण्डूर,लौहप्रयस ayasa-हिं० संज्ञा पुं० j rum. ) किट्ट । (Ferri peroxide.) वै० निघ० । च. द० पाण्डु-चि० । रत्ना०। (२) कान्त- अयस्तम्भिनी ayastambhini-सं० स्त्री० लौह । ( Load-Stone. ) ५० मु०। शिवलिङ्गी । ( Bryonia Laciniosa.) (३) मुण्डलीह । See-mundalouhah. अयस्मयो ayasmayi-सं० त्रि० लोहे की बनी रा०नि०व०१३। देखो-लोह । __हुई । अथर्व० । सू० ३७ । ८ । का०४। अयस्कन्त ayas-kanta-हिं० पु. अयक्ष्मं ayakshmam-सं० त्रि० । अयस्कान्त ayaskānta-हिं०संज्ञा पुं. ४ श्रयदम ayakshma-हिं० वि० (१) अयस्कान्तः nyas-kāntah-सं० पु. ) ___ नीरोग, रोग रहित । (२) निरुपद्रव । बाधो (.) कान्तलौह । ग०नि०व०१२ । लौह सून्य । अथर्व । सू० २६ । १२ । का० ५। चुम्बुक, चुबक । (२) कान्त पाषाण । चुम्बक पत्थर । गुण-लेखन, शीतल,मेदकारक व विषघ्न | अया aayaa-अ० असाध्य या कष्टसाध्य रोग। है। मद० २०४ । Load stone (Ferri नोट-अया तथा दा का भेद देखो "दा " में। Oxidum magneticum.) | अयाउलयह. ayaul-bahra. -अ० अयस्कान्त शिला ayaskānta-shila-सं० मज ल बह. marzul-bahra सामुद्रिक स्त्री० कान्तलौह, लोहचुम्बक,चुम्बक । ( Ma- | ग़स् यान बह्रो ghasyān-bahri ) रोग, gnet, loadstone.) वै० निघः। समुद्रीय व्याधियाँ, दरियाई बीमारी, जहाज़ी अयस्कान्तिम् ayas.kāntim-सं० क्लो० एक बीमारी, जहाजी कै, समुद्र यात्रा करते हुए जहाज धातुतत्व विशेष । मैङ्गेनीज़ (Manganese.) में किसी किसी को मतली तथा वमन की व्याधि -इ । देखो-मैने नोज़ वा मैनेसियम्। । हो जाती है। विशेषकर वे लोग इस व्याधि से For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy