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भण्डसत्व
अण्डहानिकर
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करता, वातकेन्द्रीय क्रिया शक्ति पर आधारभूत पाह लस स्टेरिलाइज्ड सोलूशन का १५ मि. सम्पूर्ण कार्यों का विशेष रूप से सुधार करता, निम (बुद) की मात्रा में रकाल्पता, वातनैवस्ति पर सुषुम्णाकाण्ड की शक्ति की विशेष बल्य, उन्माद (पागलपन), शीघ्रपतन, यच्मा, वृद्धि करता और प्रान्न पर शैथिल्यजनक प्रभाव चाल का लड़खड़ाना (A taxy), विचचिंका उत्पन्न करता है।
(Psoriasis), बहुमूत्र रोग और बहुसंख्यक,
रोगों में अन्तः क्षेप करते हैं । दैनिक अन्तः क्षेप औषधीय उपयोग-अण्ड द्वारा स्रावित
के हिसाब से १२ वा १४ दिवस के चिकित्सा (secreted ) शुक्र में ऐसे पदार्थ होते हैं
क्रम में प्रागुक्र सम्पूर्ण रोगों के लाभ के प्रज्वलित जो शोषण क्रिया द्वारा रत में प्रवेशित होकर
वर्णन प्रकाशित हुए हैं और यह हृच्छल तथा वातसंस्थान तथा अन्य भागों को शक्ति प्रदान
अन्य हार्दिक वात विकारों (Cardiac metकरने में अपना सब से श्रावश्यक उपयोग रखते
1oses) की मूल्यवान औषध कही गई है। हैं। इस पदार्थ ( वा पदार्थों) में महान गतिजनक
इसका शरीर परिवर्तन क्रम अर्थात अपवर्तन 'शक्रि है जिसके लिए रक मुष्क का ऋणी है । यह
(Metabolism) पर प्रगट प्रभाव होता है। बात इस घटने से प्रमाणित होती है कि सावा
(हिट्ला) गिक निर्वलता तथा मानसिक वा शारीरिक स्फूर्ति के अभाव ही नपुन्सक के स्वभाव कहलाते हैं।
इन्हें कामोद्दीपक रूप से व्यवहार करते हैं और इस बात से भी कि अप्राकृतिक वा हस्त
तथा वातनैवल्य, लड़खड़ानी चाल और एक्समैथुन द्वारा मनुष्य के शरीर वा मन (विशेष कर
आफथैल्मिक गाइटर में वर्तते हैं । शुक्र ग्रन्थियों के अपनी पूर्ण शक्रि प्राप्ति करने अण्डसित anda-sita-हिं० वि० ( Albumसे पूर्व या अधिक अवस्था के कारण जय शक्ति का
aneous ) अंडश्वेतकीय, अंडलाल सम्बन्धी । ह्रास हो रहा हो उस समय ) कितने विकृत हो
अण्डसित पदार्थ anda-sita padartha जाते हैं। इसके अतिरिक्त यह भली भाँति ज्ञात है
-हिं० संज्ञा पु० ( Albumaneous कि शुक्रक्षय चाहे वह किसी कारणसे उत्पन्न हुश्रा हो शारीरिक वा मानसिक निर्बलता उत्पन्न क
matter ) अण्डश्वेतकीय वस्तु । रता है । (डॉ० ब्राउन सीकार्ड)
अण्डस् andasu-सं० त्रि०, हिं० वि० (Ovi
parous ) अण्डज। . अण्ड सत्व के उपर्युक इन्द्रियव्यापारिक कार्य
अरड स्कन्दः andaskandah-सं०प० घोड़े एवं गुण से यह सिद्ध है कि यह रोगीकी सामान्य
के अण्ड में स्कन्द सदृश एक रोग होता है । दशा को स्पष्ट रूपसे सुधारता है । इसके सिवा
जयदत्त ५०अ०। वात संस्थान पर इसका उत्तेजक और बल्य प्रभाव
श्रण्डहस्ती andu-hasti-सं० पु. चकवड़, अन्य सब प्रभावों की अपेक्षा अधिकतर होता है।
चक्रमद्दक्षुप ( Cassia Tora, Lin.) यह विबंध को दूर करता तथा मूत्रविरेचक है।
ग०नि० व०५। इन अन्तःक्षेपों से सिवा स्थानिक किञ्चित् सूक्ष्म अल्प समयक वेदना के कोई और अप्रिय सहा- अण्डहानिकर anda hānikar हिं० वि०, यक सार्वानिक या स्थानिक दृश्य उपस्थित नहीं मुज़िर्रात् उन्फ.यैन-श्र० । अरड को हानि होता । इनसे स्थानिक प्रदाह वा पूय उत्पन्न नहीं पहुँचाने वाले संज्ञा पु. वे द्रव्य जो अंड को होता । पेपर फिल्टर के स्थान में पास्चर्स फिल्टर हानि पहुँचाएँ । वे निम्न हैंसे उत तरल को छानकर व्यवहार में लाने से
इकलीलुल-मलिक, शेज़ीदान, तुम ख़यार यह वेदानाएँ एवं अन्य कुप्रभाव भी किसी भाँति | (खीरा के बीज ), अतसी, जावशीर, हुल्यह कम प्रतीत होते हैं। (डा० पाटोड़की) ( मेथी ) और फफ्यून ।'
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