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अजवाइ (य)न खरासानी
अजवाइ (य) न खुरासानी
हायोसीन( Hyoscine) यह हायोसाइमसका एक क्षारीय सत्व (Alkaloid) है जो उसके द्वितीय रवा रहित सत्व हायोसायमीन में भी पाया जाता है। यह एक उड़नशील तैलीय द्रव होता है जो अपने प्रभाव में हायोसायमीन से पाँच गुणा अधिक प्रभावशाली होता है। यह स्वयं औषध रूप से व्यवहार में नहीं आता । इसके हाइड्रोक्लोरेट, हाइडिअोडेट तथा हाइडोब्रोमेट प्रादि लवणों में से अंतिम का लवण ही अधिक उपयोग में आता है।
हायोसीनी हाइड्रोब्रोमाइडम् ( IIyoscine hydro bromidum)-ले०। हायोसीन हाइडोलोमाइड ( hyoscine hyd. robromide ', स्कोपोलेमीन हाइड्रोलोमाइड (Scopolamine Hydrobromide),
हाइड्रोयोमैट प्रॉफ हायोसीन ( hydrobyomate of hyoscine )-इं० । पारसीक यमानी सत्व-हिं । जौहर बञ्ज, जौहर सीकरान -ति०।
गसायनिक संकेत (CHINO HBr, 1190)
ऑफिशल (official ). उत्पत्ति-यह हायोसाइमस (पारसीक यमानी )के पत्तों तथा विविध भाँति के स्कोपोला के वृक्षों एवं सोलेनेसीई पौधों में पाए जाने वाले एक एल्कलाइड (तारीय सत्व) का हाइड्रोब्रोमाइड है।
लक्षण-इसके वर्ण रहित रवे होते हैं जो वायु में स्थिर तथा स्वाद में तिक्र और जल में अत्यन्त लयशील होते हैं। एक भाग ग्रह, ४ भाग जल में घुल जाता है।
प्रभाव-निदाजनक ( hypnotic).
मात्रा- से - ग्रेन( ३ से.६ मि. ग्राम) मुख या स्वगस्थ अन्तःक्षेप द्वारा ।
नॉट ऑफिशल योग (Not official preparations ). (1) इलेक्शित्रो हायोसीनी हाइपो
डमिका ( Injecti) hyoscine hypodermica )-राति १००० मिनिम परिणत जल में १ ग्रेन ( श्राधी रत्ती)। मात्रा-५ से १० मिनिम (बुद).
(२) हाइपोडर्मिक लेमीली ( llypodermic lamele )-हरएक लेमोली में, ग्रेन हायोसीनी हाइड्रोब्रोमाइड होता है।
(३) गटो हायासीनो (Gutte hyoscine) एक ग्राउंस परित जल में २ ग्रेन हायोसीन हाइड्रोब्रोमाइड होता है।
(४) आपथमिक डिस्क्स (Ophthalmic Discs)-प्रत्येक डिस्क में, ..से२०० ग्रेन हायोसीन हाइडाब्रोमाइड होता है। हायोसीनो हाइडोनमाइड के प्रभाव
तथा प्रयोग यह अधिक विषैला है और प्रभाव में धतूरीन (ऐट्रोपीन ) से जिससे रसायनवाद के अनुसार यह इतना निकट का सम्बन्ध रखता है, किसी किसी बात में भिन्न होता है । यह सशक्त अबसादक तथा निद्राजनक है और इसमें धतूरीन (ऐट्रोपीन ) के समान हृदयोरोज.क प्रभाव नहीं पाया जाता, एवं इससे मस्तिष्क के बरकलस्थ गत्युत्पादक सेल मिर्बल हो जाते हैं। इसे ३० ग्रेन की मात्रा में उपयोग करने से ऊँघ, सुस्ती, स्तब्धता तथा प्रकट रूप से स्वाभाविक निद्रा शीघ्र श्रा जाती है और जागने पर रोगी अपने को भला चङ्गा मालूम करता है । कुछ समय के लिए कंठ में केवल कुछ शुष्कता शेष रह जाती है । पागलपन ( मेनिया) तथा अनेक प्रकार के मानसिक विकारों के लिए यह सर्वोत्तम निद्राजनक औषध है। उक्त औषध को स्वचा के नीचे अन्तःक्षेप करने से सर्वोत्तम प्रभाव होता है। परन्तु किसी किसी रोगी में इसके प्रभाव के ग्रहण की क्षमता अधिक होती है; अस्तु, इसे
- ग्रेन से अधिक की मात्रा से प्रारम्भ न कराना ही उसम है । इससे तीपण उन्माद, जैसा
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