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(३३०)
अष्टाङ्गहदयेषमयी यस्य स्वस्थस्य व्याधितस्य वा॥यात्यन्यथात्वं प्रकृतिः षण्मासान्न स जीवति ॥६४॥ भक्तिः शीलं स्मृतिस्त्यागो बुद्धिर्बलमहेतुकम् ॥षडेतानि निवर्तन्ते षड्भिर्मासैमरिष्यतः ॥६५॥ मत्तवद्गतिवाकम्पमोहा मासान्मरिष्यतः ॥ ६६ ॥
और जिस मनुष्यकी ग्रीवा, मस्तक, हृदय, ये शीतलहुयेभी पसीनासे संयुक्त होवै ॥ और अन्य प्रदेश गरम होवे ऐसे मनुष्यकी मरनेसे रक्षा देवताही करता है ॥६१॥ अन्य नहीं और जो सूक्ष्म तजवाला और व्याकुलितचित्तवाला और दुष्टरूपछायावाला और सब कालमें दुःखितमन वाला मनुष्य है ।। और जिसकी दीहुई बलिको काकआदि नहीं भोजन करते ॥ ६२ ।। और जो कारणके, विनाही सुंदर शोभा, वृद्धि, लक्ष्मीको प्राप्त होवे, अथवा इन्होंसे भ्रष्ट होवे ऐसा मनुष्य मृत्युको प्राप्त होता है ॥ ६३ ॥ और जिस रोगीकी अथवा स्वस्थ मनुष्यकी सत्वआदि गुण और वातआदि दोषांवाली।। प्रकृति विपरीत भावको प्राप्त होजावै वह मनुष्य छः महीनोंतक नहीं जीवता है ॥६४। और भक्ति, शीलता, स्मृति, त्याग, बुद्धि, बल ये छहों कारणके विना ।। निवृत्त होजावै तब जानो छः महीनों में मनुष्य मरजाता है ॥६५॥ और एक महीनेमें मरनवाले मनुष्यके उन्मत्तमनुष्यकी तरह गनन वाणी, कंप, मोह होते हैं ॥ ६६ ॥ - नश्यत्यजानन्षडहाकेशलुश्चनवेदनाम् ॥ न याति यस्यचा
हारः कण्ठंकण्ठामयाते॥६७॥प्रेष्याः प्रतीपतां यान्ति प्रेताकृतिरुदीर्यते॥ यस्य निद्रा भवेन्नित्यं नैव वा न स जीवति६८ वक्रमापूर्यतेऽश्रूणां स्विद्यतश्चरणौ भृशम् ॥ चक्षुश्चाकुलतां याति यमराज्यं गमिष्यतः॥२९॥यैः पुरा रमते भावैररतिस्तैर्न जीवति ॥ सहसा जायते यस्य विकारः सर्वलक्षणः ॥ निव. तते वा सहसा सहसा स विनश्यति ॥ ७० ॥ बालोंको उपाडनेकी पीडाको जो नहीं जाने वह छः दिनोंमें मरजाता है और कंटके रोगके विना जिसके कंटमें भोजन नहीं प्राप्त होवे वह रोगीभी छः दिनोंमें मरजाता है । ६७ ।। जिसके परदेशमें भेजे हुए दूत पछि विपरीतपनेको प्राप्त होवें वह मरे और जो प्रतके समान आकारवाला दखने लगै वह मरै और जिसको नींद नहीं आवै अथवा कदाचित् आवै वह नहीं जीवता है ॥ ६८ ॥ जिसके आंसुओंके स्रोतोंका मुख आपूरित होवै वह नहीं जीवता है और जिसके कारणके विना दोनों पैरोंमें अत्यंत पसीना आवै वह मनुष्य मरजाता है और धर्मराजके लोकमें जानेवाले मनुष्यके नेत्र आकुलताको प्राप्त होजाते हैं ॥ ६९॥ पहले जिन भावोंकरके मनुष्य रमताहो पीछे तिन भावोंमेंही ग्लानि होजावे तो वह मनुष्य नहीं जीवता है और जिस मनुष्यके कारणके
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