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( ३४ )
विषय.
क्षीणवीर्य में वीर्यवर्द्धक क्रिया
उत्तरबस्ति प्रयोग
चारप्रकारके दुष्ट आर्तव उपचार
गर्भयोग्य शुक्रका लक्षण
गर्भयोग्य आर्तवका लक्षण पुरुषके दुग्ध आदि उपचार स्त्रियोंके तैल आदि उपचार
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ऋतुमती स्त्रीका लक्षण ऋतुमती स्त्रीके नियम पुत्रप्राप्तिके अर्थ भर्तृमुखदर्शन गर्भस्थितिके कालपरत्वसे पुत्रकन्याप्राप्ति
पुत्रीयकर्मका उपदेश
संगतिमें संमति
दुष्टअपत्यको कुलांगारत्व पुत्रचिंतनका प्रकार
शय्याके ऊपर आरोहणविधि शय्या पर आरोहणका मंत्र
गर्भधारणके लक्षण
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अष्टाङ्गहृदयसंहिताकी
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कालकर के गर्भके आकारविपरिणाम पुंसवनकर्मका उपदेश तथा विधि...
गर्भिणीको वर्ण्यकर्म अपथ्य सेवन से गर्भविकार
दूसरे महीने में पेशी आदिआकार
प्रगट गर्भके लक्षण
स्त्रीके मनोरथ पूरे करना मनोरथ पूरे न करनेसे गर्भदोष तीसरे मास में अंगपंचकोत्पत्ति
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विषय.
गर्भपोषण प्रकार
चौथे मासमें गर्भकी व्यक्त•
अंगता
पांचवे मास में चेतना
छठे मासमें स्नायु आदि ।
सातवे मासमें सर्वांगसंपूर्णता
गर्भिणी के उपचार
आठवे मासमेंके उपचार
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नवममासके उपचार
कन्या पुत्र गर्भलक्षण सूतिकागृहसेवाका प्रकार समीप प्रसूतिके लक्षण प्रसूतिकालके उपचार शीघ्रप्रसूतिके उपाय प्रसूतीके अनंतर जेर पातनके उपाय २८०
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बालकके उपचार क्षुधावाली प्रसूतास्त्री औषधोपचार सूतिकात्वनिवृत्ति १०२.....
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अथद्वितीयोऽध्यायः २
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अथ गर्भव्यापदनामक अध्याय २८३ गर्भिणीका फूल दीखे तहां उपचार गर्भपात होवे तहां उपचार
योनिस्रावमें उपचारकल्पना
उपविष्टकका लक्षण नागोदरका लक्षण
लीनगर्भकी चिकित्सा गर्भवृद्धि के उपाय उदरमृतगर्भके लक्षण
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