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५४.
(२४)
अष्टाङ्गहृदयसंहिताकीविषय.
विषय, सूक्ष्ममलोंके क्षयका लक्षण .... ११७ | व्यानगतिप्रदेश .... .... .... १२१ दोषादिकोंकेवृद्धिक्षयलक्षण
समानगतिप्रदेश .... दोषवृद्धिक्षयप्रकार .... .... " अपानगतिप्रदेश तिनका आश्रयायिभाव ... .... पांच पित्तकेभेद .... विकारसाधनत्रकार .... .... ११८ पित्तकी रंजकसंज्ञा रक्तवृद्धिओंका रक्तमोक्षादिकोंसे साधन
साधकीपत्त .... मांसवृद्धयुद्भवोंका शस्त्रादिकोंसे साधन ,,
आलोचक पित्त .... मेदोवृद्धयुत्थोंको स्थौल्याद्युपचारोंसे
भ्राजक पित्त .... साधन .... .... .... " पांचभेदका श्लेष्मा अस्थिसंक्षयोद्भवोंकाक्षीराद्युपयोगसे साधन ,,
अवलंबक श्लेष्मा .... विड्वृद्धयादिसंभूतोंका चिकित्सासाधन ,,
क्लेदक श्लेष्मा मूत्रवृद्धिक्षयोत्थोंका मेहकृच्छ्रापसाधन ,,
वोधक श्लेष्मा .... धातुको वृद्धिक्षयकरत्व शरीरस्वरूप .... .... ....
तर्पक श्लेष्मा ओजोवर्णन .... ....
श्लेषक श्लेष्मा ओजःक्षयवर्णन ..... ....
दोषोंका उपसंहार ओजके क्षयमें औषध ....
वातका चय ओजोवृद्धिसे देहको तुष्टयादिक ....
पित्तका चय बुद्धिक्षयोंको औषध .... .... कफका चय .... . इष्टानभक्षणमें दोषजय .... .... कोपलक्षण .... वातादिकोंके विपरीतत्वमें रुचिकरत्व , वातादिकोंके चयप्रकोपशम दोषवृद्धिक्षयमें कर्मसे वैलक्षण्य
वातादिकोंके कोपाभावकारण अथद्वादशोऽध्यायः १२ कालस्वभाववर्णन अथदोषभेदीयाध्यायः .... ....
दोषनिवर्तनप्रकार .... वातस्थान
दोषकोफ्कारण
हीनातिमिथ्यायोगलक्षण पित्तस्थान कफस्थान
त्रिविधकाल .... .... वायुके उपाधिभेदसे पांचभेद
त्रिविधकर्म .... .... .... प्राणगतिप्रदेश .... .... .... "
हीनसंज्ञा .... .... उदानगतिप्रदेश .... ....
| बाह्यरोगोंके स्थान .... ....
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मस वलक्षण्य ....
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.... १२५
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