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एसिडम् पिक्रिकम्
एसिडम् मोरं हुईकम् शिशुओं के शिर पर जो दद्र, (रिंगवर्ग) हो | करता है । यह अम्ल पिपीलिकाओं के दंश में पाया जाता है, उसे दूर करने के निमित्त यह मलहम जाता है । उनके काटने पर वेदना इसी अम्ल के प्रायः फलप्रद सिद्ध हुई है-पाइरेलोक्सीन १० कारण होती है । उनके अतिरिक्त यह बिच्छू बूटी प्रेन, प्रेसिपिटटेड सल्फर ३० ग्रेन, एमोनिएटेड (Stinging pettle ) gai falat sigui मर्करी १५ ग्रेन, वैजेलीन १ औंस-इनसे यथा- ' के मूत्र, स्वेदादि में भी पाया जाता है । प्रथम तो विधि मलहम प्रस्तुत कर प्रयोग में लाएँ। यह अम्ल पिपीलिकाओं को ही जल सहित स्रवण
नोट-यह बृटिश मेटीरिया मेडिका में नाट करने से प्राप्त करते थे। पर अब इसे संधान-विधि आफिशियल है।
(Synthesis) द्वारा प्रयोगशालाओं में भी युगेलोल-( Eugalol ) यह पीताभ प्रस्तुत करने लगे हैं। भूरे रंग का एक शर्बती द्रव है जो पाइरोगैलोल
गुण-धर्म तथा प्रयोग से प्रस्तुत होता है । इसे भी सोरायसिस (विच- यह प्रवल मांसपेश्युत्तेजक है । अस्तु, यह शांति चिका) पर लगाते हैं।
को दूर करता एवं कार्यक्षमता को विशेषतया बल लेनीगेलोल-( Lenigallol ) यह
प्रदान करता है । वल्य गुणों में यह कोला, कोका एक श्वेत वर्ण का चूर्ण है जो “पाइरोगैलोल" से
और केफीन के सर्वथा समान होता है । यह मूत्रल बनता है । यह न तो बिषवत् प्रभाव करता है,
भी है। किन्तु थियोब्रोमीन से न्यूनतर है। थोड़ी और न इससे त्वचा पर खराश होती है। इसका
मात्रा में देने से यह क्षुधा की वृद्धि करता है और ५ या १० प्रतिशत का मलहम सबएक्यूट
कृमिनाशक भी है । इसके पीने से विषवत् प्रदाह (नूतन ) या क्रानिक (पुरातन) पामा (एक्जेमा) व वान्ति होकर मृत्यु हो जाती है। पर, जो प्रायः शिशुओं के कानों और मुखमण्डल
मात्रा-२ से ५ बूंद तक सोडावाटर प्रभृति आदि पर निकला करती है, लगाने से लाभ |
में मिलाकर दें। होता है।
___ नोट-कंप (कोरिया) रोग में भी इससे सैलीगैलोल-( Saligallol) यह भी
में लाभ होता है। पाइरोगैलोल और सैलिसिलिक एसिड का एक | एसिडम्-फास्फोरिकम्-[ले० acidum-phosph
योग है जिसे चर्म रोग में योजित करते हैं। oricum] एक प्रकार का अम्ल ( Phosphएसिडम्-पिक्रिकम्-[ ले० acidum-picricum] |
_oric acid)। वि० दे० "स्फुरकाम्ल"। एक अम्ल जो फीनोल पर घन गंधकाम्ल और एसिडम्-फास्फोरिकम्-कन्सेण्ट्रटम-ले-acidum नत्रिकाम्ल के मिश्रण की क्रिया से प्राप्त होता है। phosphoricum consentratum ] वि० दे० "पिक्रिकाम्ल"।
। धन स्फूरकाम्ल । एसिडम्-फार्मिकम्-ले०acidum-formicum] एसिडम्-फास्फोरिकम्-डायल्यूटम् [ ले०acidum
फार्मिक एसिड Formic-acid (अं०)। phosphoricum-dilutum ]जलमिश्रित पिपीलिकाम्ल-हिं । हामि जुल फार्मिक-(उ०)। स्फूरकाम्ल । रासायनिक सूत्र
एसिडम्-बोरिकम्- ले. acidum boricum ] (H.C02.)
- टंकणाम्ल । दे. "सुहागा"। यह एकवर्णहीन पाताशोषक श्रोर उग्र गंधमय एसिडम-बेजोइकम्-ले. acidum-benzoiद्रव है । यह जल और मद्यसार में घुलजाता है तथा cum ] लोबान का सत । लोबानिकाम्ल । दे. कार्बनितों पर डालने से उन्हें विच्छिन्न कर देता है अर्थात् का श्रो २ को निकालता है और पिपीलि- एसिडम्-मोरं हुईकम्- लेacidum-morrhui कित ( Formate) नामक लवण बनाता है। cum ] काडमत्स्ययकृत्तैलाम्ल । दे. "काढ"स्वचापर पड़ने से यह वेदना.दाह और स्फोट उत्पन्न मछली"।