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________________ कस्तूरी २३७६ कस्तूरी जानना चाहिये । तातारी मुश्क कड़ा होता है ।। में यांगट्सी नदी में स्टीमर का रास्ता खुलने से कभी इसमें मुश्की का मिश्रण कर देते हैं । इसकी पूर्व, यह कस्तूरी, टान्किन से होकर, दक्षिण को एक किस्म हिंदुस्तान से आती है जिसे मुश्क बेह भेजो जाती थी, इसलिये आजतक इसका उक्त कहते हैं । सभी प्रकार के मुश्क से घटिया होने के नाम रह गया। इसका मुख्य बाजार देश के भीतर कारण इसकी परीक्षाका कोई विधि विधान नहींहै । तत्सीनलु नगर में है जो तिब्ब की सीमा के हिंदुस्तान में आज जितनी भी कस्तूरी हिमालय | सन्निकट है । युनान प्रांत में भी कुछ कस्तूरी प्राप्त प्रति से आती है, प्रायः निम्नलिखित स्थानों से होती है। किंतु व्यापार में उसका कुछ भी उपयोग पाती है । तिब्बत की दार्जिलिंग से और नेपाल नहीं होता। बाजारों में अधिकतर परिमाणमें कस्तूरी से; भूटान की अल्मोड़ा से; पित्ती की रामपुर, मंगोलिया के उत्तरीय भागों, मंचूरिया और पूर्वी बिसहर और कुल्लू से; लद्दाख और गिलगित्त की साइबेरिया से आती है। इसे (Cabardine) काश्मीर से। इनमें तिब्ब्बत की कस्तूरी सों नामक कस्तूरी कहते हैं, किंतु इसकी उम्र भेदनीय त्तम होती है । उससे हीन भूटान की ओर उससे अप्रिय गंध के कारण इसे प्रथम श्रेणी की वस्तु हीन पित्ती तथा काश्मीर की सबसे हीन होती है। की जगह व्यवहार नहीं किया जाता। (प्रार० एन० चोपरा-इं० दू. ई० पृ० ४२४-५) कस्तूरी के व्यापारिक भेद-व्याणर की कृत्रिम नाफे की पहिचान । दृष्टि से कस्तूरी के ये तीन भेद किये गये हैं। नकली नानै गोल, कठोर सब तरफ से बालों (.) रूसी कस्तूरी ( The Russian से श्रावरित होते हैं। कुछ अधिक दिन (चार Musk )-यह कस्तूरी अतीव मंद गंधी होती छः मास) पड़े रहने पर उन नानों की त्वचा है। इसलिये यह बहुत प्रशंसनीय नहीं होती। और तज्जात कस्तरी दोनों सुख जाते हैं। इससे (२) अासाम को कस्तूरी ( The Assam उनको दबाने पर वह या तो दबते ही नहीं या Mnsk)-यह अत्यंत उग्र गंधी होती है और कुछ कम दबते हैं । परन्तु इसकी बनावट नकलो प्रथम की अपेक्षा बाजार में अधिक तेज बिकती से सदा भिन्न ही रहती है। सर्व प्रथम कस्तूरी के है। भारतीय चिकित्सा शास्त्रों में इसे ही 'काम. नाफ़े को इस प्रकार परीक्षा कर लेने के पश्चात् रूपोद्भवा कस्तूरी' के नाम से स्मरण किया गया कस्तूरी परीक्षा की बारी आती है। कस्तूती के है। यह कृष्ण वर्ण की होती है और उपलभ्यमान व्यापारी प्रथम तो नाने को देखकर ही पहिचान कस्तूरी-भेदों में यह सर्वोत्तम ख्याल की जाती है । लेते हैं कि यह किस प्रांत का है । इस प्रकार पता (३) चीनी कस्तूरी ( The Chinese न चलने पर वे दोहरी छतरी के तार को काटकर Musk)-वर्तमान समय में यह कस्तूरी सर्वा बनाई हुई परखी' को नोने के भीतर घुसेड़ कर पेक्षा अधिक प्रशंसित है; क्योंकि इसमें अमोनिया कस्तूरी निकाल कर उसके स्वरूप से मालूम कर निर्देशक किसी प्रकारकीअप्रिय गंध नहीं होती; जो लेते हैं कि यह कस्तूरी किस प्रांत की है। कभी कभी इसके निकृष्टतर भेदों में पाई जाती है। कृत्रिम वा वनावटी नाफे और कस्तूरी इनमें से अधिकसंख्यक कस्तूरी का निर्यात प्रायः ( Adulteration of Musk चीन और तिब्बत से होता है, जहाँ कि कस्तूरी Lmusk-Pod) मृग पाया जाता है । वहीं तत्सीनलु के कस्तूरी (.) जो व्यक्ति कस्तूरी मृग का शिकार करते के व्यापारी इसे ख़रीद लेते हैं और वहाँ से यह हैं उस मृग की हाथ-पैर की कोहनी का धर्म चुङ्गकिंग लाया जाता है। टाकिन् की कस्तूरी गोलाकार काटकर उसमें उसी समय उस मृग के (Tonkin Musk) जो व्यापारिक कस्तूरी रक्त में दानेदार काली मिट्टी जो पहले से बनाई का एक भेद है और जिसका मुख्यतयासुगंधियों में हुई उनके पास होती है, भर कर उसे धागे से व्यवहार होता है, पश्चिमी सेचुआन तथा तिब्बत खूब कसकर बाँध देते हैं । कोई-कोई उसी समय के पूर्वी विस्तृत भाग से आती है। गत शताब्दी । वत्किञ्चित् नाफे से कस्तूरी निकालकर वह भी
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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