SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 607
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कल्युष २३३६ ओर से इसकी पत्ती बांधने से यह बद गोश्त को काट डालता है । फोड़े पर इसकी पत्ती बाँधने से वह विदीर्ण हो जाता है। इसकी जड़ की छाल पीसकर थैली में बाँधकर जलोदर जमित सूजन पर बाँधने से उसका नाश होता है। किंतु यह ध्यान रखना चाहिये कि यदि उस जगह अधिक वेदना प्रतीत होती हो तो वहाँ से हटाकर बाँधे । इसी भाँति समग्र शोधों पर बारी-बारी से बांधते रहें । यही नहीं श्रपितु बार-बार बांधें । | नोट - नासिरुल् मुश्रालजीन तथा बुस्तानुल् मुरिदात में भी इसका उल्लेख श्राया है । कल्युष-संज्ञा पुं० [सं० नी० ] मणिबंधा । कलाई । ( ख० अ० ) । प्रगत शोथ पर इसकी पत्ती बाँधने से कल्लिजेमुदु - [ तें० ] थूहर । सेहुँड़ । उपकार होता है । कलिंगनोत्तर - [ तिवरी । I | ल्ल - वि० [सं० त्रि० ] बहिरा । बधिर । त्रिका० । संज्ञा [] (१) रंज | दुःख | कठिनाई गिरानी । ( २ ) बाल बच्चे । अहूल व अयाल । कल:- [ ० ] कल्लई - [ म०प्र० ] अग्गई ( श्रवध ) । - [ क० ] रा । वनभंटा । वृहती | कल्लत - [ पं० ] कुलथी । ? कल्वरूट तक का स्थान । जैसे खसी का कल्ला । कले का मांस । कल्ला परवर-संज्ञा पुं० [हिं० कल्ला + फ्रा० परवर ] एक प्रकार की मिठाई | कल्लाल - [देश० मदरास ] Ficus dalhousiae, Mig. सोमवल्क । कल्लि - [ मल०, ता०, कना०, ] सेहुँड़ । थूहर । कल्लि कोंबु - [ ता० ] Enphorbia Triucalli, Jinn• बाड़ की थूहर । थूहर । सेंहुँड़ । लंका शीज (बं० ) । (१) बहरापन । बाधिर्य । (२) स्वरभेद | हे०च० कल्लभ - संज्ञा पुं० [सं० पुं०] कलम । Peuar Goose quill. कल्लमूक - वि० [सं० त्रि० ] बहिरा और गूँगा । कल्लर-संज्ञा पु ं० [ देश० । सं० कल्य ] (1) नोनी मिट्टी । खारी मिट्टी । ( २ ) रेह । नोना । (३) ऊसर बंजर । धनुर्बर भूमि । कल्लस-बल-वीगे - [ कना० ] बकरा । दवन पापड़ा। पित्तपापड़ा | क्षेत्र पर्पट । · कल्ला–संज्ञा पु ं० [सं० करीर=बाँस का करैल वा ter] अंकुर | कला | किल्ला | गोंफा । संज्ञा पु ं० [ फ्रा० ] ( १ ) गाल के भीतर का अंय | जबड़ा । (२) जबड़े के नोचे गले रा ० ] श्याम त्रिवृता । लाल कल्ली - [ द० ] कली । मुकुल | कल्ली श्रंच - [ झाँकर | कल्ली का चुन्ना -संज्ञा पु ं० [देश० द० ] कली का ? ] Rubus Lasiocarpus कल्लुडी - [ कना० ] पाटल । पादर । पाढरी । क़ल्लत-[ अ ] ( १ ) बीमारी से उठना । रोगमुक्ति । कल्लुरवंची - [ मल ०] ) दादमारी । अग्निगर्भ । कल्लुरिवि–[ ता० ] [Ammannia vaccif (२) क्लेश से छुटकारा पाना । कल्लता - संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] कल्लत्व-संज्ञा पु ं० [सं० नी० ] चुना । कल्ली जर्री - [पं० ] Salvia Moorcroftia - na, Wall. कल्लु - [ ता०, ते० ] Yeast toddy ताड़ी | भी । ea, Linn. कल्लु-हुव्वु -[ कना० ] पत्थर का फूल । छड़ीला | शैलेय । कल्लूब - [श्रु० ] [ बहु० कलालीब ] दाँत उखाड़ने का औज़ार । दन्तोत्पाटक यंत्र । जंबूर | Tooth Forceps. कल्लोल - संज्ञा पुं० [सं० पु० ] ( १ ) पानी की लहर । तरंग । ( २ ) हर्ष । ख़ुशी । कुल्व - [ श्रु० ] ( १ ) गोश्त आदि भूनना । तलना । (२) गुल्ली डंडा खेलना । 是 कल्वर्स फिजिक - संज्ञा पु ं० [अ० Culver's Physic] कल्वर्सरूट - संज्ञा पुं० [ श्रं० Culver's Root. लेप्टंड |
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy