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1. कलवाराट्री
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कलवाश ट्री -[ ० Calabash_troe ] दे० "कलवाश" ।
कलबासू कलबसू - [ फ्रा० ] छिपकली । चल्पासः । कलविष-संज्ञा पुं० [ नैपा० ] कालाविव । - कलबीर - संज्ञा पुं० दे० " अकलबीर" | कलभ-संज्ञा पु ं० [सं० पु०] [स्त्री० कलभी ] ( १ ) पाँच वर्ष का हाथीका बच्चा ।
कलभवल्लभा -संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] कोकिला ।
पिकी । रा० नि० व० २३ । कलभी - संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] ( १ ) चेंच का पौधा | चंचु | रा० नि० ० ४ । ( २ ) हाथी ar ऊँट का बच्चा ( मादा ) | कल भोन्मत्त - संज्ञा पुं० [सं० पु० धतुरा । धतूरा | रा० नि० ।
कलम ( शालि ) - संज्ञा पुं०, स्त्री० [सं० पु ं० ] एक प्रकार का शालि धान । वह धान जो एक जगह बोया जाय और दूसरी जगह उखाड़ कर लगाया जाय। जड़हन । रा० नि० व० १६ ।
( २ ) एक प्रकार का धान जो मगध श्रादि देशों में प्रसिद्ध है । कलमा धान । काश्मीर में इसे महातण्डुल कहते हैं । यथा
सं० पय्याय - करिशावक, व्याल, दुर्दान्त । (२) ऊँट । हला० । (३) धतूरा | धुस्तूर वृक्ष | रा०नि० ० १० । ( ४ ) ऊँट का बच्चा | (५) हाथी । हस्ति मात्र | कलभवल्लभ-संज्ञा पु ं० [सं० पु० ] पीलू का पेड़ । कलमकी जड़-संज्ञा स्त्री० कलंबा । कलमतलीस - [ यू०] काशम । कलम दरियाई - [ फ्रा० ] बहरी कर्नब ।
पीलु । रा० नि० व० ११ ।
“कलमः कालविख्यातः जायते स वृहद्वने । काश्मीरदेश एवोक्को महातण्डुल एवच ।। " भा० कलमक | के० | कलामक । हे० ।
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गुण – यह स्वादु पाक रसत्वादि युक्त और बहुत ही हीन गुण होता है । वा० सू० ६ श्र० । हेमाद्रि धान्यवर्ग । यह कफ पित्तकारक, वीर्य वर्द्धक और मधुर है । रा० नि० व० १६ । कलमा रक्तविकार और दोषत्रय का नाश करनेवाला नेत्रों को हितकारी और कसेला है । राज० ३ प० ।
लगाकर तैयार किया नौसादर श्रादि का
संज्ञा पुं० [स्त्री० [अ० कल्म | सं० पु० ] (१) लेखनी । ( २ ) किसी पेड़ की टहनी जो दूसरी जगह बैठाने वा दूसरे पेड़ में पैबंद लगाने के लिये काटी जाय । ( ३ ) वह पौधा जो कलम
कलमी आम
गया हो । ( ४ ) शोरे, जमा हुआ छोटा लंबा
टुकड़ा | रवा |
संज्ञा पु ं० [फ़ा॰] करमकल्ला | पातगोभी |
कर्नब ।
संज्ञा पुं० [सं० पु० ] ब्रीहिधान्य ।
[ पं० ] Stephen gyne parviflora, Korth. कद्दम ।
कलमक, कलमक्क - संज्ञा पुं० [फा०] एक प्रकार का अंगूर जो बलूचिस्तान में बहुतायत से होता ।
कलम धान्य- संज्ञा पुं० [सं०] कलमा धान | महातण्डुल | दे० "कलम” ।
कलम रूमी - [ फ्रा० ] शामी कर्नब । कुबी । कलमा - संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] शालिधान । व्रीहि धान्य यह कफपित्तनाशक है और दूसरा पथ्य, वायु तथा कफ वर्द्धक है । अनि १६ अ० । [द] ] अंगूर | क़लमा - [ यू०, सिरि० ] रेंड़ । श्ररंड | कलमाद्य-संज्ञा पु ं० [सं० पु० ] व्रीहि धान्य | कलमाधान - संज्ञा पु ं० [सं० कलम धान्य ] | कुलमावस - १] चिरायता । कलमाष-संज्ञा पु ं० [सं०] घुंघची । कलमास - वि० [सं० कल्माष ] चितकवरा | कुलमास - [ ? ] चिरायता ।
कलमासारक - 1 बं० ] कलमीशाक । कुलमियातीतस - [ यू० ] सुगंधित रेबंद का एक भेद। कलमी - वि० [फा० कलमी ] ( १ ) जो कलम लगाने
से उत्पन्न हुना हो । जैसे - कलमी श्रम, कलमी नीबू । (२) जिसमें कलम वा रवा हो । जैसे— क़लमीशोरा ।
संज्ञा स्त्री० [सं० कलम्बी ] ( १ ) करेमू । कलमी साग । (२) करौंदा । ( ३ ) चेंच | चंचु ।
कलमी आम-संज्ञा पुं० [फा० कलमी + हिं० श्राम ] वह ग्राम जो कलम लगाने से उत्पन्न हुआ हो । का उलटा |