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________________ कलपनाथ २३०२ कलबाश कलपनाथ संज्ञा पु. [ देश द० ] एक बेलदार बूटी | कलफ़-संज्ञा पुं॰ [सं० कल्प] माँड़ी। जो वृक्षों पर लिपट जाती है । फूल मनुष्य को संज्ञा पु [अ०] स्वचाका एक प्रसिद्ध रोग आँख की तरह के सफ़ेद वा काले और प्रियदर्शन जिसमें साधारणतः चेहरे और हाथ की पीठ पर होते हैं। इसमें बीज भी होता है। काले धब्बे पड़ जाते हैं । झाँई । व्यंग । स्याह प्रकृति-उष्ण और रूक्ष । दाग । क्ल्ज़ Freckles, कोआजमा Chगुणधर्म तथा प्रयोग loasma (अं.)। — कलपनाथ के पत्ते । माशे काली मिर्च ५ नग कलफ और बहक अस्वद का भेदपानी में पीसकर पीते हैं । इससे जुड़ी ताप नष्ट कला में त्वचा का रंग स्याही मायल होजाता होता है। है और यह सर्व प्रथम चेहरे पर प्रगट होता है। ___ हरी गिलोय, नौसादर, कलपनाथ के पत्ते और और उसमें चिकनाहट और नरमी होती है । पर काली मिर्च सम भाग पीस कर पानी में छानकर बहक अस्वद में कर्कशता (खुशूनत) और खुरचणक या उड़द प्रमाण को गोलियाँ प्रस्तुत करें दुरापन पाया जाता है। जड़ी-ज्वर के वेग से पूर्व दो वटिकाएं देने से | कलादमियून-[यू.] हरताल की टिकियाँ । आराम होता है । (ख० अ०) दे."कलफनाथ" | | कलफतलस, केलातलस- यू.] ताँवे का मैल । कलफनाथ-संज्ञा पुल देश, द.1 कलप-पाच्ची-[ता०] छड़ीला। .) एक प्रकार का चिरायता । कालमेघ । (Androकलप-पू-[ ता० ] पत्थर का फूल । छड़ीला । graphis paniculata, Wall.) de कलपट-[ डच Kalpert ] परवल ।पटोल । जंगली "कालमेघ" । (२) कलपनाथ । ३. "कलप चिचिंडा । फ्रा० ई. २ भ० । नाथ"। कलपासी-[ता०] छड़ीला । छारछरीला । पत्थर कलफा-संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] देशी दारचीमी की छाल का फूल । शिलावल्क। कलपीलू-सज्ञा पु० [सं० पु.] छोटा तेंदू। जो मलाबार से आती है और चीन की दारचीनी में उसे सस्ता करने के लिये मिलाई जाती है। कलपु-[ ता०] छड़ीला । शिलावल्क । ___ संज्ञा पुं॰ [देश॰] कल्ला। कोपल । नया कलपून-संज्ञा पु. [ देश० कना० ] एक सदाबहार - अंकुर। पेड़ जो उत्तरीय और पूर्वीय बंगाल में होता है। इसकी लकड़ी लाल और मजबूत होती है। यह | क़लफत कुलत-शामी ] शामी गंदना । बहुमूल्य होती और मकान बनाने में काम आती | कलबंद-[ते. ] घीकार । घृतकुमारी। है । कुट्टपोन्ने (कना )। ई० मे० प्लां। कलब-संज्ञा पुं॰ [ देश• ] टेसू के फूलों को उबाल. कलपोटिया-संज्ञा स्त्री० [हिं. काला-पोटा] एक कर निकाला हुआ रंग। . चिड़िया जिसका पोटा काला होता है। संज्ञा पुं० [अ०) पागल कुत्ता काटने का रोग । हलकाव । जलबास । कलप्पगडु-[ ते०] (1) कलिहारी । करियारी ।। ___ Hydrophobia, Rabies. वि० दे० (२)नाट का वच्छनाग। "दाउल्कलब"। कलप्पा-संज्ञा पुं॰ [ मला० कलपा=नारियल ] नीला | | कलब:-[१०] दुःख । बीमारी । माँदगी। पन लिये हुए सफेद रंग की एक कड़ी वस्तु जो कलबा-[जंद ] पागल कुत्ता । कभी कभी नारियल के भीतर निकलती है। चीन के लोग इसे बड़े मूल्य की समझते हैं। नारियल कलबाघी-[ कना० ] सीरन । का मोती। हि० श० सा० । कलबाश-संज्ञा पु. [ अफ्रिका Kalabash] कलफ-[सिरि०] (1) छिलका (२) रअयुल्- ____एक ओषधि । ( Crescentia cujete, Linn.) फा० इं.३ भ.। इब्ल।
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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