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.....कलका
कह।
२२६८ जगह धीरे-धीरे स्थानांतरित होता रहता है । इस- (२) रंज । दुःख । खेद । सोच । चिंता । लिए उसे इस नाम से अभिहित किया गया। [मरा• ] बाँस । वंश।
- कह.-[अ०] उशरक।
[ता०] करौंदा । करमईक । कहोन-[१०] खुमी का सफ़ेद या छोट भेद। कलकण्टु-[ मल० ] ऊख । गन्ना । ईख । कहोनक-[फा०] बाबूना ।
कलकण्ठ-संज्ञा पुं॰ [सं० पु.][स्त्री० कलकंठी ] की-संज्ञा स्त्री॰ [ देश.] बैंगन | भंटा ।
(१) हंस । (२) पारावत । परेवा । कबूतर । कल-संज्ञा पुं॰ [सं० पु.] (1) साल का पेड़ । पिंडुक । (३) कोकिल | कोयल । मे० उचतुष्का
शालवृक्ष । रा०नि० व०६ । (२) अव्यक्त (४) शुकपक्षी । सूत्रा । तोता । ५० मु० (५) मधुरध्वनि । जैसे-कोयल की कूक, भौंरों की कल ध्वनि । मीठी आवाज़। गुजार । (३) अजीर्ण । बदहज़मी। मे०। । वि० [सं०नि०] मीठी ध्वनि करनेवाला । __संज्ञा पु० [सं० क्री०] (१) वीर्य । शुक्र। सुन्दर बोलनेवाला। मे० लद्विक । (२) बेर का गुल्म । बदरीगुल्म । कलकण्ठी-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० कोकिल । वै० निघ० २ भ० संग्रहणी-चि० व्योषादि चूर्ण।। कोयल ।
वि० [सं० वि०](१) कोमल । मधुर । | कलकण्ड-ते०, कना०] मिश्री । सितोपल | (२) मनोहर । सुन्दर।
कलकतार-[यू०] जाज ज़र्द । ज़ाज रूमी। वि० हिं० "काला" शब्द का संक्षिप्त रूप जो कलकदीस, कलकंदीस-[यू०] White vitriol यौगिक शब्द बनाने में प्रयुक्त होता है। जैसे
जाज सफेद। कलमुहाँ । कलदुमा ।
कलक़दीस-रू०] जलाया हुआ ताँबा। " कल-[१०] कलई । राँगा।
कलकनक-[फ़ा ] खुर्की का बीज । कला अर्मनिया-[ सिरि० ] गिले अरमनी । कलकन्त-[ यू.]PotassiBichromas | जाज कलअ मनीन-[१] बख्नुर मरियम ।
अह मर । जाज सुर्ख । 'कलइनसि-[बर० ] कठकरञ्ज ।
कलकन्द-संज्ञा पुं॰ [ ] लबा बेर । कलइप्पडक-किजङ्ग -[ ता०] उलटकंबल । क़लक़न्द-[यू.] Green vitriol ज़ाज सब्ज । कलइमान कोम्बु-[ ता०] बारहसिंगे का सींग। कसीस । हीरा कसीस। कलइया-संज्ञा स्त्री० दे. "कलाई"।
कलकफल-संज्ञा पु० [सं० पु.] अनार का पेड़ । कलई-संज्ञा स्त्री० [अ० कलई.] (१) राँगा। रंग । | दाडिम वृक्ष ।
कथील । (२) रॉगे का पतला लेप जो बरतन | कलकल-संज्ञा पुं० [सं० पु.] साल की · गोंद । इत्यादि पर खाद्य पदार्थों को कसाव से बचाने के
राल । सर्ज़ निर्यास । मे० लचतुष्क । लिये लगाते हैं । मुलम्मा (३) चूना । कली।
संज्ञा स्त्री० [हिं० कल्लाना ] खुजली। कण्डू । कलक-संज्ञा पुं० [सं० पु.](१) शकुल नाम
कल्लाहट । की मछली । हे० च०। (२) बेंत । वेतसवृक्ष ।
कलकलन्त, कलकलन्द-रू.] हीरा कसीस । जाज संज्ञा पु० दे० "कल्क"।
अख़्ज। __ संज्ञा पुं० [अ०. कलक] (1) बेकली ।
कलकलमद-[अ०] अरवी । बेचैनी। घबराहटा बिकल और बेचैन होना। बेकली
कलकलिया-संज्ञा स्त्री० [ देश० ] कुकलुयादिरोभाय से करवटें बदलना । जैक्टेशन Jactation
(भूटिया )। (अं.)।
कलकलोद्भव-संज्ञा पु'• [सं० पु.] राल । राला - कलक और कर्ब का अर्थ भेद- ___धूल । सर्जरस । रा०नि० व०३।
कलक बेचैनी और बेकली के अर्थ में व्यवहार कलकलानज-[१] एक हिंदी माजून का नाम ।
में आता है और कर्ब दुःख के कारण साँस रुकने | कलका-[ता. ] करौंदा । . को कहते हैं।
संज्ञा [ देश० ] पक्षी।