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कर्पूरादि-गुटिका
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कपूरासव कपूरादि-गुटिका-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] उक्न नाम | कर्पूराद्य-तैल-संज्ञा पुं॰ [सं० क्री० ] उक्न नाम का का एक योग।
एक योग, जो बाल गिराने में बरता जाता है। निर्माण विधि-भीमसेनी कपूर १। टंक, निर्माण क्रम-पाकार्था-तिल तैल ८ पल, कस्तूरी १। टंक, लौंग । टंक, मिर्च २॥ टंक, कल्कद्रव्य-कपूर, भिलावाँ. शंखभस्म, जवाखार पीपर २॥ टंक, बहेड़े की छाल २॥ टंक, कुलिंजन तथा मैनसिल ये ओषधियाँ मिलित २ पल । २॥ टंक, अनार की छाल । टंक । सर्व तुल्य पाकार्थ-जल ३८ पल यथाविधि तैल पाक खैरसार मिलाकर चूर्ण करे और जल के साथ करके छानलें । इसके पश्चात् इसमें २ पल हरताल मन कर चणक प्रमाण गोलियाँ बनाएँ। का चूर्ण मिलादें। इसके उपयोग से क्षणभर में
गुण-एक गोली शहद के साथ नित्य सेवन ही बाल गिर जाते हैं । चक्रद० योनि व्या० चिका करने से कास रोग का नाश होता है। कर्पूराद्य-रस-संज्ञा पुं॰ [सं० पु.] उक्न नाम का अमृ० सा०।
एक रसौषध । कपूरादि चूर्ण-संज्ञा पुं॰ [सं० क्ली० ] उक्न नाम का योग निर्माणविधि-कपूर, भंग, धत्तूरबीज, एक प्रसिद्ध योग
जायफल, अभ्रकभस्म, लौहभस्म, सीसक भस्म, निर्माण विधि-भीमसेनी कपूर, तज, मिर्च, बंगभस्म, छोटी इलायची, पुन्नाग, धनियाँ, जायफल, लौंग प्रत्येक ५ टंक, नागकेशर ७ टंक, मीठा विष, सोंठ, मिर्च, पीपल, लौंग, तालीसपत्र, पीपर - टंक, सोंठ ६ टंक । इनका विधिवत् चूर्ण
अरनी के बीज, अरनी की छाल, खिरेटी, अकस्करा बनाकर दूनी मिश्री मिलाकर रख लें।
प्रत्येक समान भाग लें। चूर्ण कर सर्व तुल्य मिश्री गुण-इसे शहद आदि के साथ तथा भिन्न
मिलाकर रखलें। भिन्न उचित अनुपान के साथ १ टंक खाने से
गुण-इसे बलाबल की विवेचना कर उचित राजरोग. अरुचि. कास. क्षय, श्वास, गुल्म, अर्श,
मात्रा में सेवन करने से श्वास, प्रमेह, रक्तपित्त, वमन और कंठ रोग का नाश होता है।
प्रस्वेद, अनेक प्रकार के सन्निपातज रोग, वात और अमृ० सा।
स्वरभंग नष्ट होता है। कपूरादि तैल-संज्ञा पुं॰ [सं० की.] उन नाम का
मात्रा- मा० से ३ मा० तक। : एक योग।
कपूराश्मा-संज्ञा पुं॰ [सं० पु.](१) एक प्रकार निर्माण विधि-कपूर, भिलावा, शंख का
___ का उपरत्न । कर्पूर चीनिया। (२) स्फटिक । चूर्ण, जवाखार, मैनसिल और हरताल के साथ |
: वै० निघ । बिल्लौरी पत्थर । सिद्ध किया हुआ तेल लगाने से बाल गिरजाते हैं। २०र० यो व्या०।
| कपूरासक्-संज्ञा पुं० [सं० पु.] उक्न नाम का एक
प्रसिद्ध योग। कराद्य-चूर्ण-संज्ञा पुं० [सं० वी०] उक्न नाम का
निर्माण विधि-उत्तम सुरा ४०० तोले, प्रांक एक योग।.. निर्माण-विधि-कपूर, दालचीनी, कंकोल,
मूल स्वचा ३२ तो०, इलायची, नागरमोथा,
सोंठ, अजवायन, बेल्लज, प्रत्येक ४-४ तोले । जौ जायफल, पनज इन्हें १-१ भाग । लौंग १ भाग,
कुट करके एक बड़े बोतल में डाल मद्य मिश्रित नागकेसर २ भाग, मिर्च ३ भाग, पीपल ४ भाग, सोठ ५ भाग और मिश्री सर्व तुल्य । यथा विधि
। कर मुख वन्द करदें। एक मासोपरांत छान कर
रखलें। उत्तम चूर्ण बनाएँ।
___ मात्रा-१०-६० बूंद । अाजकल बाजार मात्रा-1 से ४ मा० तक।
में जो अर्क कपूर बिकता है उससे यह कहीं उत्तम गुण-इसे यथाविधि पथ्य पूर्वक सेवन करने से अरुचि, क्षय, खाँसी, स्वरभंग, स्वास, गुल्म,
है। इसे विसूचिका तथा अतिसार में देने से मर्श, वमन और कंठरोग का नाश होता है। अत्यन्त लाभ होता है । परीक्षित है । भैष० २० यो०र०कास चि०।
... | परिशिष्ट । .......