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कर्कटा
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कटा-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.](१) काकड़ासींगी वनकर्कटिका । रा. नि. व. २३ । (३) - भैष. बाल-चि० कर्कटादि। (२) एक प्रकार ककड़ी। कर्कटिका लता । रा०नि०व०७ । हे.
की लता जिसमें करेले की तरह के छोटे-छोटे च । (४) बालुको नाम की एक प्रकार की फल लगते हैं जिनकी तरकारी बनती है । ककोड़ा ककड़ो । एर्वारू । फूट । हला०। (५) बेर का
सेखसा । (३) उग्रगंधा । करावा । नि० शि० । पेड़ । वदरी । मद० व० ५। (६) घण्टा वदर। कर्कटाख्य, कर्कटाक्ष-संज्ञा पुं॰ [सं० पु.] कर्क- (७) कमल का छत्ता जिसमें से कँवलगट्टे टिका लता । ककड़ी की बेल ।
निकलते हैं। पद्म कर्णिका। (८) बेल का कर्कटाख्य, कर्कटाक्ष-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] कच्चा फल । कोमल श्रीफल । वै० निव० । (६)
(१) ककड़ी । कर्कटिका । काँकुड़ । (-०)। बँदाल को लता । देवदाली। घघरबेल । भा० र० मा० । रा०नि० व०६। सि० यो० हि. पू० भ० गु० २०। (१०) गोरख ककड़ी । श्वा० चि० द्राक्षालेह । वै० निघ० ज्व. चि० । गोरक्ष कर्कटिका । र० सा० सं० रसशोधन । कुलत्थाय' घृत । (२) काकड़ासोंगी। कर्कट (११) सेमल का फल । मे० । (१२) शृंगी। वै० निघ० क्षय चि० लघुशिवगुटी । सु० ककड़ासोंगो । रा०नि०व० ६ । (१३) साँप चि० २ ०। बा० चि० ४ अ० । भैष० शिलाजतु सर्प । श० २०। (१५) तरोई । (१५) कछुई वटी।
(१६) घोटिका वृक्ष । (१७) घड़ा । (१८) कर्कटादिलेह-संज्ञा पुं० [सं० पु.] वैद्यक मे एक चिर्भिट । पेहँटा । पेहटुल । (१६) हस्तिपर्णी ।
अवलेह जो बालरोग में व्यवहृत होता है। योग कर्कटी पयो-[सं०] लिसोड़ा । मु० अ० । यह है-काकड़ासींगी, प्रतीस, सोंठ, धव का | कर्कटी बीज-संज्ञा पु. [सं. की.] ककड़ी का फूल, बेल, सुगंधवाला, नागरमोथा और बेर की |
बीज । कर्कटी फलबीज । च०द० अश्म० चि० गिरी, इनका चूर्ण बराबर लेकर शहद के साथ
- कुशावलेह । चाटने से ज्वर, अतिसार और दुर्निवार ग्रहणी
हा कर्कटी बीजादिचूर्ण-संज्ञापु० [सं० क्ली०] उक्त नाम रोग शीघ्र दूर होता है । रस. २० बाल चि० ।
का एक योग, यथा-कर्कटी के बीज, अमला, हड़, भैष ।
बहेड़ा और सेंधा नमक इन्हें समान भाग लेकर कर्कटा शीपिका-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] सिंगरफ
चूर्ण बनाएँ। . हिंगुल। कर्कटास्थि-संज्ञा स्त्री० [सं० को० ] केकड़े को हड्डी ।
गुणधर्म तथा उपयोगविधि-इसे एकतो० मात्रामें
गरम जल के साथ पीने से मूत्रावरोध (पेशाब___ कुलीरास्थि ।
बन्द होना) नष्ट होता है । वृ. नि. २० कर्कटाह्व-संज्ञा पु० [सं० पु.] बेल का पेड़ । रा. नि० व०११।।
मूत्रा० चि०। कर्कटाढचा-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] काकड़ासींगी। कर्कट-संज्ञा पु० [सं०] करकरा । करकटिया । कर्कटाढा-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] काकड़ासींगी। करेटु पक्षी । श०र० । कर्कटशृंगी। रा०नि० व०६।
कर्कड़-संज्ञा पु० [सं० पु.] खरियामिट्टी । खड़ी। कर्कटि, कटिका-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] (१)| खटिका । र० मा० ।
ककड़ी । राज० ३ व० । वै० निघ०। भा० म० कर्कनी-[ बम्ब० ] Leea sanbu cina, १ भ० अश्म० चि० । (२) विलायती पेठा । Willd. कुकुरजिह्वा । अंकडोस । तपुरिया कूष्माण्ड । कौल।
कर्कन्दु, कर्कन्धु, ककन्धू-संज्ञा पुं॰ [सं० पु. कर्कटिनी-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] दारहल्दी । दारु- की.] (१) छोटे बेर का पेड़ । सुगवदरवृक्ष । हरिद्रा । रा०नि० व० ६ ।
झड़बेरी का पेड़ । रा०नि० व० २३ । सि. यो. कर्कटी-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] (१) कर्कट स्त्री। कास चि. यवाङ्गयूष और वचादियूष ।
मादा केकड़ा । केकड़ी। (२) जंगलो ककड़ी।। 'यवामलक दाडिमकर्कन्धु मूलक शुण्ठिकैः।