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करौंदिया
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चाहिये। क्योंकि इससे अत्यन्त दस्त आने प्रारम्भ हो जाते हैं । जिससे कभी-कभी मनुष्य की जान भी खतरे में पड़ जाती है । इसकी जड़ को पानी में पीसकर साँप के बिल में डालने से साँप भाग ज'ते हैं । ऐसा कहा जाता है कि जिस मैदान के श्वास-पास इसकी बाड़ लगी होती है उसमें साँप प्रायः नहीं आते । कदाचित् उक्त विश्वास के कारण ही सर्पदंश में इसकी जड़ को पीसकर पानी में मिलाकर हृदय के नीचे-नीचे के सभी भागों पर मालिश किया जाता है।
करौंदिया - वि० [हिं० करौंदा ] करौंदे के रंग का ।
संज्ञा पुं० एक रंग जो बहुत हलकी स्याही लिए हुये लाल होता है। गुलाबी से इसमें थोड़ा ही अंतर जान पड़ता है । करौंदी-संज्ञा स्त्री० [हिं० करौंदा ] ( १ ) जंगली करौंदा | छोटा करौंदा । ( २ ) एक प्रकार की दाख ।
करौडामर - [aro ] काला डामर । करौत - संज्ञा पु ं० [सं० करपत्र ] [स्त्री० करोती ] लकड़ी चीरने का श्रौज़ार । धारा । करोत | करौता -संज्ञा पु ं० दे० "करौत” ।
संज्ञा पु ं० [ हिं० कारा, काला ] करैल सिट्टी ।
संज्ञा पुं० [हिं० करवा ] काँच का बढ़ा बरतन | क़रावा । बड़ी शीशी । करौला - संज्ञा पुं० [देश० ] कड़वी तरोई ।
संज्ञा पु ं० [देश० बं० ] करेला । करौली - संज्ञा स्त्री० [सं० करवाली ] एक प्रकार की सीधी छुरी जिसमें मूँठ लगी रहती है और जो
भोंकने के काम में आती है । क़' - [अ०] ( १ ) धात्वर्थं ठोंका | थपकना | तिब्वी वैद्यकीय परिभाषा में रोग ज्ञान के लिये किसी अंग को उँगली श्रादि से ठोंकना । जैसे, सीना और उदर इत्यादि को उँगली से ठोंक कर उनकी आवाज़ से उनकी श्राभ्यांतरिक दशा का पता लगाते हैं । ठेपन । टकोरना । टंकोरना । परकश्शन Percussion | ( २ ) कद्द ू लो।
क्र े:-[ अ ] ( १ ) थपक | धमक । ठोंकना । ( २ ) नाड़ी (नब्ज़ ) की एक गति ।
कर्कट
क
कीचिया - [ सिरि० ] हूफ़ारीकून । क़वी - [ तु० ] एक शिकारी पक्षी । क़ई लान: - ( १ ) [ गुबरैला ] । क्रड़लूमुर्र - [अ०] तितलीको । कद्द एतल्ख । कर्केड - [ ? ] झड़बेरी । झाड़ीबेर । ककेंद - [ फ्रा० ] एक प्रकार का लाल पत्थर वाल वा पीको ।
कर्कदु-संज्ञा पुं० [सं० पु ं० ] दे० "कर्कन्दु” ककंधू संज्ञा पुं० [सं० पु० की ० ] बेर का पेड़ वा
फल ।
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कर्क-संज्ञा पु ं० [सं० पु ं० ] सफ़ेद रंग का घोड़ा । ज० द० । ( २ ) केकड़ा । कुलीरक । ( ३ ) दर्पण | शीशा । ( ४ ) घड़ा | घट | मे० कद्विक | (५) कँकरोल | कर्कट वृक्ष | (रा०नि० व० ११) । ( ६ ) कंक पक्षी | काँक । ( ७ ) एक प्रकार की तौल । (८) एक वृक्ष । काकड़ासींगी । ( १ ) कौश्रा । काक । (90) शिरोऽवचालन | हे०च० । ( ११ ) कंकर । ( १२ ) बेर का पेड़ । (१३) बेल का पेड़ । ( १४ ) गंधक | वै० निघ० २ भ० ग्रहणीकपाट रस । ( १५ ) श्रग्नि ।
क़क़अना -[ यू०, सिरि• ] केशर | ज़ाफ़रान । कर्कगुग्गुलु-संज्ञा पु ं० [सं० पु ं० ] कणयुक़ा । कण गुगुल (?)
कर्क रास - [ तिनकाबिन ] सील | वेदग्याह । कर्कचिभिटिका, ककचिभिटी - संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ]
फूट की ककड़ी । चिभिंटा । कर्कटी भेद | रा० कर्कट -संज्ञा पुं० [सं० पु० ] [स्त्री० कर्कटी, कर्कटा ] नि० ० ७ । ( २ ) छोटी ककड़ी | चिर्मिटी |
( १ ) एक प्रकार का सारस । करकरा । करकरिया | The Numidian crane कर्करेटु । कर्कट पाखी - (बं० ) ।
गुण- वातनाशक, शुक्रप्रद और श्रमनाशक । त्रि २२ श्र० । दे० " करकरा " । ( २ ) स्वनाम ख्यात वृक्ष । काँकरोल (Monordica Cochin chinensis, Spriy)
गुण- इसका फल रुचिकारक, कसेला, अत्यंत दीपन, कफपित्तकारक, ग्राही, श्राँख को हितकारी, हलका और शीतल है। रा० नि० व० ११ । (३)